Secrets of Sarvapitri Amavasya: सर्वपितृ अमावस्या के दिन याद रखें ये 10 बातें, भूलकर भी ना करें बताए गए काम

हिंदू शास्त्र के अनुसार भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध हम सर्वपितृ अमावस्या के दिन कर सकते हैं। यह दिन पित्रपक्ष की अंतिम तिथि होती है।

Sarvapitri Amavasya
Sarvapitri Amavasya 
मुख्य बातें
  • इस दिन भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है
  • इस दिन पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा जैसी किताबों को पढ़ना लाभकारी होता हैं

Secrets of Sarvapitri Amavasya: हिंदू शास्त्र के अनुसार पितृपक्ष पितरों को याद किया जाने वाला समय होता है। यह पक्ष 15 दिन का होता है। इस पक्ष में आप पितरों की पूजा अर्पण करके उन्हें प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है। ऐसी मान्यता है, कि इस पक्ष में पितृ धरती पर आ जाते हैं। धर्म के अनुसार पितरों का आशीर्वाद जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है। इस साल पितृपक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर दिन बुधवार तक मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में पक्ष की अंतिम तिथि को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से जाना जाता है।

यह तिथि पितरों के लिए बेहद खास होती है। धर्म के अनुसार अमावस्या पितरों की ही तिथि होती है। यदि आप अपने किसी भी बड़े बुजुर्ग के श्राद्ध की तिथि नहीं जानते हैं, तो आप इस दिन उनकी विदाई पूजा-पाठ करके आसानी से कर सकते हैं। धर्म के अनुसार इसे पितृविसर्जन दिन भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितृ वापस अपने लोक चले जाते है। हिंदू शास्त्र में इस तिथि के बहुत सारी खास बाते बताई गई हैं। क्या आपको उनके बारे में पता है। अगर नहीं, तो आइए जाने यहां।

सर्वपितृ अमावस्या के 10 खास बातें-

1. हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने वाली तिथि मानी जाती है। 15 दिन व्यक्ति अपने पितरों की सेवा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करता है।

2.  हिंदू धर्म में इस अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या या पितृविसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता हैं।

3. शास्त्र के अनुसार यदि आप अपने किसी भी बड़े-बुजुर्ग के श्राद्ध की तिथि को नहीं जानते हो, तो इस तिथि के दिन आप उनका श्राद्ध अच्छे से कर सकते हैं। यह दिन पितरों का ही दिन माना जाता है।

4. यदि आप किसी कारण बस अपने पितृ का श्राद्ध नहीं कर पा रहे हो या उनकी श्राद्ध की तिथि न मालूम हो, तो आप सर्वपितृ अमावश्या के दिन उनकी पूजा अर्चना कर सकते हैं। धर्म के अनुसार इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं।

5. हिंदू शास्त्र में सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्तम् पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा, आरती और गरुड़ पुराण पढ़ना बेहद लाभदायक होता हैं।

6.  हिंदू धर्म में श्राद्ध हमेशा किसी पवित्र नदी, वटवृक्ष, गौशाला, पवित्र पर्वत और भूमि जैसे जगहों पर दक्षिण मुख करके किया जाता हैं।

7. हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्रों को पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।

8.  हिंदू धर्म के अनुसार कुतुप, रोहिणी और अभिजीत काल में श्राद्ध करना बेहद लाभकारी होता है।

9. धर्म के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन घर में कलर करना, शराब पीना, मांस मदिरा खाना, बैगन, प्याज, लहसुन, सफेद तिल, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, मसूर दाल, सरसों की साग, चना आदि जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।  ऐसी चीजों का सेवन करने से पुत्र नाराज होते है।

10. शास्त्र के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ऋषि देव एवं पित्र विसर्जन के बाद पंचवली कर्म करके सोलह ब्राह्मणों को भोजन कराना लाभकारी होता है।

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