इस जगह पर भगवान शिव ने दिए थे द्रोणाचार्य को दर्शन, मंदिर के शिवलिंग पर लगातार गिरता है पानी

Tapkeshwar Mahadev temple of Uttarakhand: देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थ्ति टपकेश्वर महादेव रहस्य से भरा हुआ है। इस मंदिर के शिवलिंग पर एक चट्टान से पानी की बूंदे टपकती रहती हैं। 

Tapkeshwar Mahadev Temple
Tapkeshwar Mahadev Temple 
मुख्य बातें
  • देशभर में दो मार्च 2022 को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा।
  • भारत में भगवान शिव के कई मंदिर है, जो रहस्य से भरे हुए हैं।
  • देहरादून स्थित टपकेश्वर महादेव भी ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर है।

Tapkeshwar Mahadev Temple Uttarakhand:महाशिवरात्रि पूरे देश में इस साल एक मार्च 2022 को मनाई जा रही है। इस दिन शिवभक्त पूरा दिन व्रत रखकर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। भारत में भगवान शिव के कई मंदिर है, जो रहस्य से भरे हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर है टपकेश्वर महादेव मंदिर। देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग छह किमी की दूरी में स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग पर एक चट्टान से पानी की बूंदे टपकती रहती हैं। 

टपकेश्वर महादेव (Tapkeshwar Mahadev Mandir) शिवजी को समर्पित एक गुफा मंदिर है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह एक प्राकृतिक गुफा के अंदर स्थित है। गुफा से गिरने वाली पानी की बूंदे लगातार शिव लिंग पर गिरती रहती हैं। इसी कारण इसका नाम टपकेश्वर पड़ा था। मंदिर के आस-पास जंगल और टोंस नदी भी बहती है। वहीं, मंदिर परिसर की एक गुफा में माता वैष्णो देवी का भी मंदिर है। इसके अलावा एक अन्य शिवलिंग भी हैं। शिवलिंग को ढंकने के लिए 5151 रुद्राक्ष का इस्तेमाल किया गया है।

Tapkeshwar Mahadev Mandir – Tapkeshwar Temple in Dehradun | Hindu Blog

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गुरु द्रोण को दिए थे दर्शन
महाभारत के अनुसार कौरव और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य भगवान शिव की तपस्या करने के लिए यहां आए थे। उन्होंने 12 साल तक भगवान शिव की तपस्या की थी।  इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गुरु द्रोण को दर्शन दिए थे। गुरु द्रोण के अनुरोध पर भगवान शिव लिंग के रूप में यहां पर स्थापित हुए थे।  वहीं, भगवान शिव की पूजा के कारण ही गुरु द्रोण को अश्वत्थामा के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई। अश्वत्थामा ने मंदिर की गुफा में छह माह एक पांव पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की। 

Tapkeshwar Temple, Dehradun | Ticket Price | Timings | Address: TripHobo

अश्वत्थामा को भगवान शिव ने दिया दूध
अश्वत्थामा की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हुए। वरदान में द्रोण पुत्र ने उनसे दूध मांगा। इस पर प्रभु ने शिवलिंग के ऊपर स्थित चट्टान में गऊ थन बना दिए और दूध की धारा बहने लगी।

Places to Visit in Uttarakhand - Tapkeshwar Temple 

कलियुग में दूध की धारा जल में बदल गई। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी का इस मंदिर में महोत्सव होता है। देश विदेश से तीर्थयात्री “हर हर महादेव” के नारे लगाते हैं। 

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