पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर रात में किरणें बिखेर कर के अमृत की वर्षा करता है। इस दौरान चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे रखी गयी खीर अमृत के समान हो जाती है। इसमें चांद की शीतलता और किरणों के कई तत्व मिले होते हैं। सुबह इस खीर को खाने से व्यक्ति का संपूर्ण स्वास्थ ठीक रहता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात का बहुत अधिक महत्व है।
इस साल यह 13 अक्टूबर को पड़ रही है। चंद्रमा जिस अंक पर होता है, उसी से राशि का निर्धारण भी होता है। जन्मकुंडली में लग्न चक्र के अलावा चंद्र कुंडली भी होती है। ज्योतिष में माना जाता है कि पंचम और नवम भाव में चंद्रमा लग्न बहुत अच्छा परिणाम देता है। यदि यह केंद्र में गुरु के साथ है तो गजकेसरी नाम का राजयोग बनाता है। आइये जातने हैं कि यदि आपकी कुंडली में चंद्र से जुड़ा कोई दोष है तो उसे राशि अनुसार कैसे दूर किया जा सकता है। यहां जानें इससे जुड़ी जानकारी के बारे में...
शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी का जन्मदिन होता है औ मां रात्रि में भ्रमण करती हैं और जो लोग पूरी रात जगे रहते हैं उन्हें माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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