Bahula Chaturthi Vrat Vidhi: संतान के मंगल के ल‍िए रखते हैं बहुला चौथ व्रत, इस द‍िन है दूध नहीं पीने की परंपरा

Bahula Ganesh Chauth Vrat : संतान की सलामती के लिए बहुला चौथ व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव, पार्वती और गणपति जी के साथ ही गायों की पूजा करती हैं। आइए व्रत से जुड़ी परंपरा, विधि, नियम और कथा जानें।

Bahula Chauth 2020, बहुला चौथ 2020
Bahula Ganesh Chauth 2020, बहुला चौथ 2020 
मुख्य बातें
  • बहुला चतुर्थी के दिन गाय के दूध का सेवन नहीं किया जाता है
  • बहुला चाैथ संतान की सलामती के लिए महिलाएं करती हैं
  • इस दिन गायों की पूजा का विशेष विधान होता है

भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष चतुर्थी यानी शुक्रवार 7 अगस्त को बहुला चातुर्थी का व्रत रखा जाना है। बहुला चौथ की पूजा शाम के समय चांद को देखने के साथ की जाती है। इस दिन महिलाएं सुबह से व्रत प्रारंभ कर देती हैं और शाम के समय चन्द्रोदय के बाद शिव-पार्वती व गणेशजी की पूजा कर चंद्रमा को उजले फूल व दूध से अर्घ्य देकर पुत्र की दीर्घायु की कामना करती हैं। यह व्रत उन लोगों के लिए भी खास माना गया है जिनकी संतान नहीं होती। इस व्रत को करने से सूनी गोद भी भर जाती है। इस व्रत में गाय की पूजा का भी विशेष महत्व है।

बहुला चतुर्थी तिथि और समय

बहुला चतुर्थी 7 अगस्त 2020 को सुबह 6: 33 बजे से रात 8:48 बजे तक रहेगी।

जानें, बहुला चतुर्थी व्रत पूजा के बारे में

बहुला चतुर्थी या बोल चौथ देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस व्रत और पूजा का संबंध किसानों से भी है। इस व्रत में गायों की पूजा किसान और उनके परिवार की महिलाएं करती हैं।  बाहुला चतुर्थी का लगभग देश के हर राज्य में मनाया जाता है, लेकिन इसे गुजारात का मुख्य त्यौहार माना जाता है। हिंदू धर्म में गाय और बछड़ों की पूजा का विधान है। बाहुला चतुर्थी पर गायों की पूजा करने से भक्तों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भक्त भगवान कृष्ण की पूजा भी इस दिन करते हैं, क्योंकि भगवान कृष्ण गोपालक थे और उनका इससे जुड़ा रहा है। इस दिन किसान समुदाय सुबह उठने के साथ ही गायों के रहने वाले स्थान को साफ कर गायों और बछड़ों को नहलाते हैं। फिर पूजा की तैयारी कर कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।

वहीं, ज्योतिष शास्त्र में भगवान गणेश को चतुर्थी का स्वामी माना गया है। इसलिए इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर भगवान गणपति और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी की जाती है। इस पूजा को करने से संतान सुख मिलता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। रोग आदि दूर होते हैं।

Shri Ganesh Ji do these things on Wednesday

बहुला चतुर्थी व्रत कथा

बहुला नाम की एक गाय थी जो बछड़े को दूध पीलाने के लिए जा रही थी। तभी रास्ते में बहुला का सामना एक शेर से हुआ। बहुला बेहद घबराई गई लेकिन हिम्मत कर बहुला ने शेर को तब तक अपनी जान बक्शने के लिए बोला कि जब तक कि वह अपने बछ़ड़े को दूध न पिला दे। बहुला ने शेर से कहा कि दूध पिलाने के बाद वह शेर के पास वापस लौट आएगी। शेर ने बहुला की बात मान ली और उसे जाने दिया और वहीं उसकी प्रतिक्षा करने लगा, हालांकि शेर को उम्मीद कम है थी कि बहुला लौट कर आएगी, लेकिन बहुला वापस आ गई। शेर बहुला की अपने बच्चे के प्रति प्रतिबद्धता और वचन को देख कर इतना प्रभावित हो गया कि उसने उसे खाने का विचार त्याग दिया।

शेर के इस त्याग और गाय बहुला का बछड़े के प्रति ये प्यार और कर्तव्य को देखते हुए ही ये त्योहार मनाया गया। इस दिन गाय के दूध का प्रयोग नहीं किया जाता है और इसे केवल बछड़े के लिए छोड़ दिया जाता है। यह पूजा का प्रतीक है जो देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

 

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