भगवान विष्णु ने नारज होकर माता लक्ष्मी को दिया था ये श्राप, जानिए धनतेरस की पौराणिक व्रत कथा

शास्त्र के अनुसार धनतेरस के दिन ही भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए मां लक्ष्मी के साथ आए थे। यह हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है।

Dhanteras Vrat Katha 2021
Dhanteras Vrat Katha 2021 
मुख्य बातें
  • धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है।
  • शास्त्र के अनुसार इसी दिन भगवान धन्वंतरि कलश लेकर पृथ्वी पर प्रकट हुए थे।
  • धनतेरस के दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है।

धनतेरस हर साल दीपावली से पहले मनाया जाता है। यह पर्व हर साल कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन से दीपावली की शुरुआत हो जाती है। शास्त्र के अनुसार इस दिन सभी घरों में देवी लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर, यम देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा और आराधना की जाती है। इसी दिन धन्वंतरि भगवान हाथ में कलश लेकर पृथ्वी लोक पर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन लोग बर्तन की खरीदारी अवश्य करते हैं। 

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे तभी मां लक्ष्मी ने भी उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए आग्रह किया। तब भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि यदि तुम मैं जो कहूं वैसा ही करोगी तब मैं तुम्हें अपने साथ ले जाऊंगा।  भगवान विष्णु की यह बात सुनकर लक्ष्मी माता ने उनकी बात मान ली और भगवान विष्णु के साथ भूमंडल पर विचरण करने के लिए आई।

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भगवान विष्णु ने दिया आदेश (Dhanteras vrat katha in hindi)
विचरण करने के कुछ देर बाद ही एक स्थान पर भगवान विष्णु रुक कर लक्ष्मी जी को कहा कि मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं तुम उधर मत आना। विष्णु जी की यह बात सुनकर लक्ष्मी जी के मन में शंका हुई कि आखिर दक्षिण दिशा में क्या रहस्य है। यह सोचकर मां लक्ष्मी से रहा नहीं गया और वह श्री विष्णु के पीछे पीछे चल पड़ी। कुछ दूर आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया जिसमें खूब फूल खिले हुए थे।

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भगवान विष्णु ने दिया श्राप (Dhanteras 2021 vrat story)
सरसों के फूल को देखकर माता मंत्र मुक्त हो गई और वह फूल तोड़ कर अपना श्रृंगार करने के लगी। फिर आगे बढ़ने पर उन्हें एक गन्ने का खेत दिखाई दिया। तब मां लक्ष्मी उस खेत से गन्ने को तोड़ कर उसका रस चूसना शुरू कर दिया। उसी वक्त भगवान विष्णु वहां आए और यह देखकर लक्ष्मी जी से बेहद नाराज होकर उन्हें श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि मैंने तुम्हें इधर आने से मना किया था परंतु तुमने मेरी बात नहीं मानी और किसान के खेतों से चोरी की। अब तुम्हें इस अपराध का दंड झेलना होगा।अब से तुम्हें इस किसान के घर रहकर 12 वर्ष तक सेवा करना होगा। 

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गरीब किसान के घर किया निवास (Dhanteras vrat 2021)
भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को छोड़कर छीर सागर में चले गए। तब मां लक्ष्मी उसी गरीब किसान के घर में निवास करने लगी। एक दिन मां लक्ष्मी ने उस किसान की पत्नी से कहा, तुम स्नान करके मेरी बनाई गई देवी लक्ष्मी की पूजा कर लो, फिर खाना बनाना। ऐसा करने से तुम जो मांगोगी वह तुम्हें अवश्य मिलेगा। किसान की पत्नी माता का यह वचन सुनकर वैसा ही की। पूजा के प्रभाव और माता की कृपा से किसान का घर धन, रत्न, स्वर्ण से भर गया। इस तरह से किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए। 

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12 वर्ष बाद आए भगवान विष्णु ( Dhanteras vrat vidhi)
12 वर्ष के बाद जब विष्णु जी लक्ष्मी जी को लेने आए, तो किसान ने उन्हें भेजने से मना कर दिया। तब भगवान विष्णु ने किसान से कहा कि, 'इन्हें घर से कौन जाने देना चाहता है। यह तो बहुत ही चंचल है। यह कहीं ज्यादा दिनों तक ठहरती नहीं है।' इन्हें बड़े से बड़े लोग भी रोक नहीं सकते। इनको मैंने श्राप दिया था इसलिए यह तुम्हारे घर 12 वर्ष तक रही और तुम्हारी सभी मनोकामना को पूर्ण की।' यह सारी बात सुनकर भी किसान अपने बातों पर अड़ा रहा।  

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लक्ष्मी जी ने बताया उपाय ( Dhanteras vrat katha 2021)
लक्ष्मी जी ने किसान से कहा, 'तू मुझे रुकना चाहते हो तो मैं जो तुम्हें कहूंगी वैसा करो। कल तेरस है तुम कल घर को अच्छी तरह लिपकर रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और शाम के समय मेरी पूजा आराधना करना और एक तांबे के कलश में कुछ रुपए भरकर मेरे लिए रखना। मैं उस कलश में निवास करूंगी।'

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लक्ष्मी माता कहती हैं, 'किंतु पूजा के समय तुम मुझे देख नहीं पाओगें। एक दिन की इस पूजा से मैं एक साल तक तुम्हारे घर में ही निवास करूंगी। यह कह माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए। तभी से हर वर्ष तेरस तिथि के दिन लक्ष्मी मां की पूजा धनतेरस के रूप में की जाने लगी।'

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