Gayantri Jayanti 2020 : जानें क‍िस तारीख को है गायत्री जयंती, कैसे लें पांच मुख वाली वेद माता का आशीर्वाद

व्रत-त्‍यौहार
मेधा चावला
मेधा चावला | SENIOR ASSOCIATE EDITOR
Updated May 30, 2020 | 20:25 IST

Gayantri Jayanti 2020 Katha of Maa Gayatri : साल 2020 में गायत्री जयंती 2 जून को मनाई जाएगी। गायत्री देवी को ब्रह्मा की पत्‍नी माना जाता है और उनको सभी वेदों की जननी कहा गया है।

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Gayatri Jayanti: कौन हैं मां गायत्री, कैसे करें इनकी पूजा 
मुख्य बातें
  • गायत्री मां को सभी वेदों की जननी और सभी देवताओं की मां माना गया है
  • उनके पांच मुख हैं जो संपूर्ण ब्रह्मांड के पांच तत्‍वों को प्रतिब‍िंबित करते हैं
  • गायत्री मंत्र इन्‍हीं की उपासना का मंत्र है जिसमें सभी मंत्रों की शक्‍त‍ि समाह‍ित है

ह‍िंदू धर्म की पौराण‍िक मान्‍यताओं में गायत्री माता को सभी वेदों की जननी कहा गया है। गायत्री देवी की साधना के लिए ही गायत्री मंत्र का जप-अनुष्ठानादि किया जाता है। इस मंत्र में चारों वेदों का सार माना जाता है। यानी अगर आप इस मंत्र को समझ गए तो चारों वेदों के सार को भी समझ गए। गायत्री माता को वेदों की जननी भी कहते हैं। माना जाता है क‍ि इन्‍हीं से चारों वेदों का जन्‍म हुआ है। चूंक‍ि इनकी अराधना स्वयं भगवान शिव, श्रीहरि विष्णु और ब्रह्मा करते हैं, इसलिए गायत्री माता को देव माता भी कहा जाता है।

Gayantri Jayanti 2020 Date

पंचांग के मुताब‍िक, गंगा दशहरा के अगले दिन यानी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनायी जाती है। इस वर्ष यह 2 जून यानी मंगलवार को मनाई जा रही है। हालांकि कुछ मान्‍यताएं ये हैं क‍ि गंगा दशहरा और गायत्री जयंती की तिथि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को होती है। वहीं श्रावण पूर्णिमा को भी गायत्री जयंती मनाई जाती है। 

पांच मुख वाली हैं मां गायत्री

सौम्‍य मुख और सुनहरी आभा वाली मां के पांच मुख माने जाते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड के पांच तत्‍वों को प्रतिब‍िंबित करते हैं। ये तत्‍तव है - पृथ्‍वी, जल, आकाश, वायु और तेज। इन्‍हीं पांच तत्‍वों के मेल से ही सृष्‍ट‍ि की उत्‍पत्‍त‍ि मानी गई है। मां गायत्री का वाहन सफेद हंस है और इनके हाथों में वेद सुशोभ‍ित है। उनके दूसरे हाथ में कमंडल है। 

कैसे हुआ ब्रह्मा और गायत्री का विवाह

कहा जाता है कि एक बार भगवान ब्रह्मा यज्ञ में शामिल होने जा रहे थे। मान्यता है कि यदि धार्मिक कार्यों में पत्नी साथ हो तो उसका फल अवश्य मिलता है लेकिन उस समय किसी कारणवश ब्रह्मा जी के साथ उनकी पत्नी सावित्री मौजूद नहीं थी इस कारण उन्होंनें यज्ञ में शामिल होने के लिए वहां मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया।

कैसे करें गायत्री मां का पूजन 

मां गायत्री की आप क‍िसी समय भी कर सकते हैं। सुबह नहाधो कर साफ कपड़े पहनें और पव‍ित्र मन से सुखासन में बैठकर मां गायत्री का ध्‍यान करें। इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें। तीन माला गायत्री मंत्र का जप आवश्यक माना गया है।

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