Indira Ekadashi 2021 Date, Puja Vidhi, Muhurat: कब पड़ रही है श्रीहरि को समर्पित इंदिरा एकादशी, यहां जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि 

Indira Ekadashi 2021 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Tithi in Hindi: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि इंदिरा एकादशी कहलाती है। यहां जानें, इंदिरा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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इंदिरा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त व पूजा विधि  |  तस्वीर साभार: Times of India
मुख्य बातें
  • अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
  • इस वर्ष इंदिरा एकादशी का व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा।

Indira Ekadashi 2021 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Tithi: हिंदू धर्म शास्त्रों में अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदायिनी माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि वर्ष 2021 में 02 अक्टूबर के दिन पड़ रही है। इंदिरा एकादशी पर इस वर्ष सिद्धि योग बन रहा है। ऐसी मान्यता है कि, जो भक्त इंदिरा एकादशी पर श्रीहरि की पूजा श्रद्धा पूर्वक करता है तथा कथा का श्रवण करता है उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों के दान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है। यहां जानें इस वर्ष इंदिरा एकादशी पर शुभ मुहूर्त कब है और इस दिन श्रीहरि की पूजा कैसे करनी चाहिए। 

इंदिरा एकादशी तिथि एवं शुभ मुहूर्त Indira Ekadashi Date 2021 

इंदिरा एकादशी तिथि: - 02 अक्टूबर 2021 

एकादशी तिथि प्रारंभ: - 01 अक्टूबर 2021 (रात 11:03)

एकादशी तिथि समापन: - 02 अक्टूबर 2021 (रात 11:10) 

इंदिरा एकादशी पारण मुहूर्त: - 03 अक्टूबर 2021 सुबह 06:15 से 08:37 

इंदिरा एकादशी पर शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त: - सुबह 11:58 से रात 12:54 तक

विजय मुहूर्त: - दोपहर 02:45 से दोपहर 03:38 तक

गोधुली मुहूर्त: - शाम 07:05 से शाम 07:29 तक


इंदिरा एकादशी पूजा विधि

इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को लाभ प्राप्त होता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को सुबह जल्दी उठकर और नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य दें और पितरों के लिए श्राद्ध करें। इसके बाद विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें और कथा श्रवण करें। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-पुण्य करें।

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