Jivitputrika Vrat 2021 Puja Vidhi, Muhurat: जीवित पुत्रिका व्रत आज? जानें क्या है पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Jivitputrika Vrat 2021 Date, Puja Vidhi, Muhurat: जितिया व्रत के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। जानिए इस व्रत की पूजन विधि और मुहूर्त।

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Jivitputrika Vrat 2021 Puja Vidhi, Muhurat (तस्वीर के लिए साभार - iStock) 
मुख्य बातें
  • जितिया व्रत अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है
  • मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत को करने से पुत्र की लंबी आयु होती है
  • जीवित पुत्रिका का व्रत महिलाएं निर्जला रखती हैं

Jivitputrika Vrat 2021 Date, Puja Vidhi, Muhurat: जितिया व्रत यानी जीवित पुत्रिका व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए बेहद कठिन व्रत माना जाता है। इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर करती हैं। जिस प्रकार छठ और निर्जला एकादशी में निर्जला रहकर व्रत किया जाता है उसी प्रकार इस व्रत को भी करना होता है।

ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से नि:संतान स्त्रियों की गोद जल्दी भर जाती है। कहते हैं कि इस दिन श्रद्धापूर्वक जीमूतवाहन की पूजा करने से पुत्र की लंबी आयु होती है। अष्टमी के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। जितिया व्रत हर साल सावन मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी से लेकर पारण तक की जाती हैं। यह व्रत खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य में बहुतायत से मनाया जाता है।

यह व्रत इस लिहाज से भी कठिन होता है कि तीज व्रत में तो पारण अगले दिन सुबह ही हो जाता है लेकिन इसके पारण का समय होता है जिसमें व्रत को खोला जाता है। एक दिन तक महिलाओं को निर्जला रहना होता है इस दिन। 

कब है 2021 में जीवित पुत्रिका व्रत?

इस साल यानी 2021 में जितिया का व्रत 28 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक मनाया जाएगा। परंपरा और शास्त्रों के मुताबिक यह व्रत महाभारत काल से ही जुड़ा हुआ। नवमी के दिन महिलाएं सूर्य देवता को अर्घ्य देकर ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं। जो महिलाएं जितिया व्रत करती है या करने वाली हैं, वह पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जान सकती हैं।

जितिया व्रत की पूजन विधि

  • जितिया व्रत से एक दिन पहले यानी सतमी के दिन स्नान कर खाना होता है
  • अष्टमी के दिन सुबह-सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करना चाहिए
  • फिर सूर्य देवता की प्रतिमा पर जल चढ़ाकर स्नान कराना चाहिए।
  •  स्नान कराने के बाद सूर्य देवता की धूप, दीप जलाकर आरती करनी चाहिए।
  • आरती  के बाद भगवान को प्रसाद चढ़ाकर भोग लगाना चाहिए।
  • अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद सूर्य देवता को अर्ध्य देकर ही पारण करें।

जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को शाम - 6 बजकर 16 मिनट से शुरू 
अष्टमी तिथि की समाप्ति- 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट तक

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