17 अक्टूबर, 2019 को करवाचौथ का व्रत है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को केवल सुहागिने ही नहीं बल्कि वह लड़कियां भी करती हैं जिनकी शादी की उम्र हो चुकी है या शादी होने वाली है। करवा चौथ महज एक व्रत नहीं है, यह पति-पत्नी के रिश्ते के प्यार को बनाए रखें के लिए भी बहुत जरूरी होता है। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं चंद्रमा देखकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर के पूजा में बैठती हैं। वे महिलाएं जो शादी के बाद पहली बार करवा चौथ व्रत रख रही हैं, वह इस दिन शादी का लाल जोड़ा और पूरे 16 श्रृंगार कर पूजा करती हैं।
अवश्य सुनें व्रत की कथा
समय की कमी की वजह से अक्सर देखा जाता है कि पहली बार व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाएं व्रत कथा सुनना भूल जाती हैं। मगर ऐसा भूल कर भी नहीं करना चाहिये। पूजा के दौरान व्रत की कथा सुनने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
व्रत के दौरान न करें ये काम
व्रत रख कर दोपहर में सोना नहीं चाहिये। बल्कि सभी को मिल कर गीत गाने चाहिये या फिर परिवार के साथ वक्त बिताना चाहिये।
कपड़ों का रखें खास ध्यान
इस दिन सुहागिन महिलाओं को लाल जोड़ा पहनना चाहिये, फिर चाहे वह साड़ी हो या फिर सूट। ऐसा करने से पति और पत्नी के बीच मधुर संबंध बनते हैं।
सुबह उठ कर करना चाहिये ये काम
पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागिनों को अपने बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त कर के दिन की शुरुआत करनी चाहिये। इससे पूजा में सफलता मिलती है।
सरगी जरूरी खाएं
व्रत शुरू होने से पहले सास बहू को कुछ मिठाइयां कपड़े और श्रृंगार का सामान देती है। करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले महिलाएं सरगी को खाकर ही अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। इसके बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रहा जाता है और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को खोला जाता है।
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