नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले रखा है। इस खतरनाक वायरस के चलते सबसे अधिक असर पर्यटन पर पड़ा है। ऐसे में कई देशों में अर्थव्यवस्था की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है। थाईलैंड में तो हालत यह हो गई है कि यहां पालतू हाथियों पर भूखमरी का संकट मंडरा रहा है। कोरोना महारी के इस दौरान में थाईलैंड में करीब 1,000 पालतू हाथी भूख से मर सकते हैं। इस देश में यह विशाल जानवर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। दुनिया में कोरोना फैलने के बाद मार्च में सभी हाथियों को शिविर में बंद करने का आदेश दिया गया था।
पर्यटकों को हाथी देखने की अनुमति
बता दें कि कुछ थाई हाथी की सवारी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद भी खड़ा हो चुका है। कई लोगों का दावा है कि हाथियों के साथ ऐसा करना क्रूर काम है। वहीं, फुकेत द्वीप पर ट्री टॉप्स एलीफेंट रिजर्व जैसे अभयारण्य हैं जो पर्यटन नहीं होने के कारण पैसे की कमी से जूझ रहे हैं और हाथियों का सही से ध्यान रखने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं। ट्री टॉप्स में हाथी स्वतंत्र रूप से घूमते हैं और पर्यटकों को उन्हें देखने की अनुमति होती है। परियोजना निदेशक लुईस रोजर्सन ने स्काई न्यूज को बताया कि एक हाथी को खिलाने के लिए प्रति माह करीब 46 हजार रुपए खर्च होता है।
'हाथी भूख से मारे जाएंगे'
सेव द एलिफेंट फाउंडेशन ने बताया कि अनुमान है देश के लगभग 1,000 पालतू हाथियों पर कोरोना संकट के दौरान भूख से मरने का खतरा हो सकता है। फाउंडेशन के संस्थापक लेक चेरलर्ट ने कहा कि अगर कोई उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कोई सहारा नहीं बनता है तो ये हाथी (जिनमें से कुछ गर्भवती हैं) या भूख से मारे जाएंगे या इन्हें सड़कों पर छोड़ा जा सकता है। इनमें से कुछ को चिड़ियाघरों को बेचा जा सकती है या उन्हें गैरकानूनी लॉगिंग व्यवसाय में वापस भेजा जा सकता है। लेक ने कहा कि जब तक कुछ वित्तीय सहायता तुरंत प्राप्त नहीं होगी तब ऐसा खतरा बना रहेगा।