"मॉस्क ना पहनने वाला 'गधा' है"..पत्रकार ने लिया गधे का मजेदार इंटरव्यू [VIRAL VIDEO]

Interview Of A Donkey: बिहार के एक पत्रकार ने कोरोना संकट के बीच मॉस्क के बिना घूम रहे लोगों को जागरुक करने के लिए अनूठी पहल की और एक गधे का मजेदार इंटरव्यू कर डाला वो इसके माध्यम से एक संदेश दे रहे हैं।

A Journalist took a funny interview of donkey by this he deliver a message to those who roam without a mask in Bihar
इस इंटरव्यू का वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी  से वायरल हो रहा है  

A Journalist Took Funny Interview Of A Donkey: आमतौर पर गधे (Donkey) को बहुत मेहनती जानवर माना जाता है वहीं ये भी कहा जाता है कि गधे को अक्ल कम होती है अक्सर हम बातों में इसका जिक्र भी करते हैं जिसे कोई बात ना समझ आ रही हो तो हम कहते हैं कि गधे हो क्या यानि लब्बोलुबाब ये कि इंसान दुनिया का सबसे अक्लमंद प्राणी माना जाता है, लेकिन कोरोना संकट के इस दौर में सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा की कितनी अपीलों के बाद भी तमाम लोग बिना मॉस्क (Mask) के सड़कों पर घूम रहे हैं, बिहार में एक पत्रकार (Journalist) ने ऐसे ही लोगों को सबक सिखाने के मकसद से एक गधे का इंटरव्यू (Interview) किया फिर लोगों से उसकी प्रतिक्रिया मांगी उसका मकसद लोगों को मॉस्क पहनने के लिए प्रेरित करना था।

इस इंटरव्यू का वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है और लोग पत्रकार के तरीके की चर्चा कर रहे हैं दरअसल उसका मकसद बहुत साफ है कि लोग कोरोना की गंभीरता को समझें और मॉस्क का प्रयोग करें, ये दीगर बात है कि उसका तरीका जरुर अलग है,लेकिन इतना समझाने पर भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

इस पत्रकार का मकसद इस इंटरव्यू के माध्यम से किसी का मजाक उड़ाना नहीं था, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए उनकी सुरक्षा को देखते हुए उसने यह लीक से हटकर तरीका अपनाया सोशल मीडिया पर लोग इस कदम का समर्थन भी कर रहे हैं।

गौरतलब है कि बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी के साथ बढ़ रहे हैं, राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी प्रसाद यादव तो शुरू से ही कोरोना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर बने हुए हैं। ताजा हमले में तेजस्वी ने कहा कि बिहार कोविड-19 महामारी का वैश्विक हॉटस्पॉट  बनने की ओर अग्रसर है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता यादव ने कहा कि बिहार के आकार और जनसंख्या को देखते हुए प्रति दिन 30,000-35,000 नमूनों की जांच होनी चाहिए थी, लेकिन रोज केवल 10,000 नमूनों की ही जांच हो रही है।


 

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