VIDEO: ऐसा आश्रम जहां भजन की धुन सुनते ही चले आते हैं भालू, सालों से चला आ रहा है सिलसिला

मध्यप्रदेश के शहडोल स्थित जंगल में बने रामवन आश्रम में भगवान के भजन की धुन सुनते ही जंगल की गुफाओं से भालू निकलकर आ जाते हैं और भजन सुनकर चले जाते हैं।

Bhajans bring wild bears closer to hermit in Madhya Pradesh forest
ऐसा आश्रम जहां भजन की धुन सुनते ही चले आते हैं भालू 
मुख्य बातें
  • इस भालू के दल में एक नर-मादा भालू का जोड़ा और दो शावक है
  • बड़े ही श्रद्धा भाव से भजन का आनंद लेने के बाद प्रसाद ग्रहण कर चले जाते हैं भालू
  • भालू किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते, पिछले 8 वर्षों से चला आ रहा है सिलसिला

नई दिल्ली: आपने अक्सर सुना होगा या देखा होगा कि मंदिर हो या आश्रम वहां इंसान ही पूजा पाठ या भजन करते हैं। लेकिन हम आपको एक ऐसे आश्रम के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भजन सुनने इंसान कम जंगली जानवर ज्यादा आते हैं। यह आश्रम मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा के पास शहडोल स्थित रामवन में है। जंगलों के बीच बने आश्रम में सीताराम बाबा पिछले कई वर्षों से कुटिया बनाकर रहे हैं।

सीताराम जब भी वाद्ययंत्रों के साथ भजन गाते हैं तो भालू निकलकर बाहर आ जाते हैं और चुपचाप बैठकर भजन सुनते हैं। इतना ही नहीं भजन सुनने के बाद प्रसाद ग्रहण कर किसी इंसान की तरह चुपचाप चले भी जाते हैं।  इन भालुओं की चर्चा मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है।

साधु के भजनों को सुनने वाले इनके कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। इन भालुओं के दल में एक नर, एक मादा तथा दो शावक बताए जा रहे हैं। लोग भी भालुओं के इस तरह के व्यवहार को देखकर आश्चर्यचकित हैं कि कैसे एक हिंसक जानवर इस तरह भजन सुन रहा है।

ये भालू किसी को नुकसान नहीं पहुचाते हैं। भालुओं के चर्चे इतने प्रसिद्ध हो चुके हैं कि लोग दूर-दूर से भालुओं को देखने के लिए बाबा के आश्रम में पहुंच रहे हैं। भालुओं की यह भक्तिगाथा का जिक्र पड़ोसी राज्य छत्तीसढ़ में भी खूब हो रहा है। बाबा बताते हैं कि यह सिलसिला पिछले 8 सालों से चला आ रहा है।  

एक गौर करने वाली बात ये है कि भालू आज तक आश्रम के अंदर नहीं गए बल्कि बाहर बैठकर ही भजन सुनते हैं। बाबा ने नर भालू का नाम लाली और मादा का नाम लल्ली रखा है। वहीं शावकों का नाम चुन्नू-मुन्नू रखा हुआ है। लोग सोशल मीडिया पर इनके वीडियो साझा कर इसे अधात्म से जोड़ रहे हैं।

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