साल में दो ऐसे दिन होते हैं जिसमें सबसे कम समय तक सूर्य की रोशनी पड़ती है और एक में सबसे लंबे समय तक सूर्य की रोशनी पड़ती है। इसे खगोल विज्ञान की भाषा में सोल्स्टिस कहते हैं। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि साल का वो दिन जो सबसे बड़ा होता है उसे समर सोल्स्टिस कहते हैं और साल का वो दिन जो सबसे छोटा होता है उसे विंटर सोल्स्टिस कहते हैं।
समर सोल्स्टिस हर साल 21 जून को या 22 जून को होता है। इस दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है। इसी प्रकार विंटर सोल्स्टिस हर साल दिसंबर 21 या दिसंबर 22 को होता है। ये साल भर का सबसे छोटा दिन होता है। कहा जाता है कि आधिकारिक तौर पर इसी दिन से ठंड के मौसम की शुरुआत होती है।
यही अगर नॉर्दर्न हेमीस्फीयर की बात की जाए तो यहां पर ये बिल्कुल उल्टा होता है। यहां पर समर सोल्स्टिस 21 या 22 दिसंबर को होता है जबकि विंटर सोल्स्टिस 21 या 22 जून को होता है। इसलिए उदाहरण के लिए जब नॉर्थ अमेरिका में समर होता है तो साउथ अमेरिका में विंटर होता है।
साल में कई बार मौसम बदलता है। कभी गर्मी पड़ती है तो कभी सर्दी। इन्ही मौसम के अनुसार दिन की लंबाई में भी बदलाव होता रहता है। कभी दिन की लंबाई घटती है तो कभी दिन की लंबाई घटती है। क्या आपने इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश की है। इसकी वजह एकमात्र ये है कि धरती का अपने अक्ष पर झुके रहना और अपने अक्ष पर घूमते रहना।
इसी कारण से आधे समय तक सूर्य उत्तरी ध्रुव की ओर झुका रहता है और बाकी आधे सालों में दक्षिण ध्रुव की ओर। धरती के इसी चक्कर लगाने की वजह से सीजन तय होता है। जिस तरफ सूर्य का झुकाव ज्यादा रहता है वहां सूर्य का प्रकाश प्रकाश ज्यादा पहुंचता है और वहां गर्मी ज्यादा होती है। वहीं जिस तरफ सूर्य का प्रकाश कम पहुंचता है वहां पर ठंड होती है। पृथ्वी अपने अक्ष पर साढे 23 डिग्री झुकी हुई है, जिसके कारण सूर्य की दूरी उत्तरी गोलार्द्ध से अधिक हो जाती है।