Progeria: सात समंदर दूर उस मासूम की हुई मौत, याद आई फिल्म 'पा'

यूक्रेन की आठ साल की मासूम अन्ना साकीडोन इस दुनिया में नहीं है। दरअसल वो उस बीमारी प्रोजेरिया से पीड़ित थीं जिसे हम सबने 70 एमएम के पर्दे पर फिल्म पा के रूप में बिग बी को किरदार निभाते हुए देखा है।

Progeria: सात समंदर दूर उस मासूम की हुई मौत, याद आई फिल्म 'पा'
यूक्रेन की रहने वाली थी अन्ना साइकडोन (फोटो साभार- volyn regional children medical complex) 
मुख्य बातें
  • आठ साल की उम्र में 80 साल की दिखने वाली अन्ना साइकडोन का निधन
  • प्रोजेरिया से पीड़ित थी यूक्रेन की रहने वाली अन्ना साइकडोन
  • प्रोजेरिया एक जेनेटिक बीमारी है जिसमें सभी अंग समय से पहले बूढ़े होने लगते हैं।

नई दिल्ली। वो महज 8 साल की थी लेकिन तकदीर ने उसे समय से पहले बूढ़ा बना दिया। वो अपने उम्र के बच्चों के साथ मेलमिलाप की कोशिश करती थी लेकिन कमबख्त उम्र का बोझ उसे औरों से दूर कर देता था। यूक्रेन की आठ साल की मासूम बच्ची जिसका जिक्र हम कर रहे हैं वो अन्ना साइकडोन है लेकिन अब वो इस दुनिया में नहीं है। उसने एक ऐसी बीमारी ने अपनी गिरफ्त में लिया जिसे हम फिल्मी पर्दे पर सदी के महानायक बिग बी यानि अमिताभ बच्चन को उतारके हुए देखा है। उस बीमारी को प्रोजेरिया कहते हैं। 

दुनिया में 160 लोग प्रोजेरिया के शिकार
अन्ना साइकडोन का न होना इस मायने में खास है क्योंकि वो अब तक की सबसे युवा शख्स रही है जो प्रोजेरिया का शिकार हुई। अब इस सवाल का जवाब भी बेहद जरूरी है कि आखिर प्रोजेरिया भला किस बीमारी का नाम है जिसमें इंसान समय से पहले बूढ़ा हो जाता है। दरअसल प्रोजेरिया एक जेनेटिक बीमारी है जिसमें पीड़ित शख्स के सभी अंग समय से पहले बूढ़ा होना शुरू कर देते हैं और एक समय के बाद सभी अंग काम करना बंद भी कर देते हैं। 
भारतीय फिल्मी पर्दे पर फिल्म पा के जरिए अमिताभ बच्चन ने जीवंत अभिनय किया था जिसमें वो प्रोजेरिया से पीड़ित दिखाए गए हैं। 

आठ साल में अस्सी की दिखती थी अन्ना
इस समय पूरी दुनिया में इस बीमारी से मात्र 160 लोग बीमार हैं। अन्ना साइकडोन ने जब इस दुनिया को अलविदा कहा तो उसकी उम्र महज आठ साल की थी। लेकिन वो अस्सी साल की हो चुकी थी। अन्ना का वजन घटते घटके सात किलो हो गया था। अन्ना की मां इवाना आखों में आंसू लिए हुए कहती हैं कि वो अपनी बेटी के लिए बहुत कुछ करना चाहती थीं। लेकिन अफसोस की वो अन्ना को बचा न सकीं। इसका दुख उन्हें ताउम्र रहेगा। 

जेनेटिक बीमारी है प्रोजेरिया
अन्ना की इलाज करने वाली डॉक्टर नादेहदा ने कहा कि अब सिर्फ उसकी याद बची है। उसे बचाने के लिए जितनी भी मुमकिन कोशिश हो सकती थी हम लोगों की तरफ से की गई। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। 1886 में इस बीमारी के बारे में डॉ हचिंगन ने दुनिया को बताया था। इस बीमारी के बारे में कहा जाता है कि खासतौर पर तीन या चार पीढ़ी पहले अगर किसी में इस तरह की दिक्कत रही हो तो आने वाली पीढ़ियों में इस रोग की आशंका बढ़ जाती है। इस रोग में मरीज का मरना तय है, कुछ दवाओं को केयर की वजह से मौत को टाला जा सकता है।

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