Ratan Tata: 27 साल के इस युवक ने ऐसा क्या किया की रतन टाटा भी हुए मुरीद

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Updated Nov 21, 2019 | 20:06 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Ratan Tata: शांतनु नायडू नाम के एक युवा लड़के की प्रेरणादायक कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जानिए उसने ऐसा कौन सा काम किया था कि रतन टाटा ने पर्सनली बुलाकर उसे जॉब ऑफर की।

ratan tata with shantanu naidu
रतन टाटा और शांतनु नायडू  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • रतन टाटा ने इस युवा लड़के को पर्सनली बुलाकर ऑफर की ड्रीम जॉब
  • सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों की मदद करता था
  • फंड की कमी पड़ी तो रतन टाटा को लिखी चिट्ठी, आया जवाब

नई दिल्ली : शांतनु नायडू एक ऐसे युवा हैं जो इन दिनों टाटा कंपनी के मालिक रतन टाटा के साथ नाम जुड़ने के कारण सुर्खियों में बने हैं। प्रेम और दया भावना के कारण किसी की जिंदगी में कैसे बदलाव आता है शांतनु इसका जीता-जागता उदाहरण है। सड़क पर घूमते आवारा कुत्तों के बेहतरी के काम करने वाले शांतनु को किसी छोटी-मोटी नहीं बल्कि खुद टाटा कंपनी के मालिक रतन टाटा ने जॉब ऑफर किया है। इस लड़के की कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।  

2014 में टाटा ग्रुप में काम करने के दौरान शांतनु ने सड़क पर एक आवारा कुत्ते को मरते हुए देखा था। अपनी आंखों के सामने कुत्ते की मौत ने देख शांतनु के दिल को झकझोर कर रख दिया। उसी दौरान उसने ये फैसला कर लिया कि इन कुत्तों की मदद के लिए वह कुछ बेहतर कदम उठाएगा। उसने बताया कि मुझे पता था कि मुझे उनके लिए कुछ करना है।

इसके बाद उसने अपने दोस्तों को बुलाया और उनकी मदद से कुत्तों के लिए एक पट्टा बनाया जिनपर रिफ्लेक्टर लगा हुआ था, ताकि जब गाड़ी आए तो उन्हें दूर से ही सड़क पर कुत्ते दिखें और एक्सीडेंट होने से बच जाएं। उसने बताया कि उसने अगले दिन कुत्तों के गले में वह पट्टा पहनाया। उस समय उसे नहीं पता था कि यह काम करेगा या नहीं लेकिन जब उसे किसी ने बताया कि इस पट्टे की वजह से एक कुत्ते की जान बच गई तो ये जानकर उसे काफी राहत मिली।  

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
“I graduated in 2014 & started working at Tata group. Life was pretty smooth, until one evening, I saw the dead body of a dog on the road. I’ve always been fond of dogs & also rescued a few. So, seeing a stray like that killed me. I stood there thinking about bringing the body to the side, when another car ran over it—I was gutted. I knew that I had to do something. So I called a few friends & made a collar with reflectors on it, for drivers to see the dog from afar. The next day, we went & put these collars on stray dogs. I didn’t know if it would work, but when I received a message saying that a dog had been saved because of the collar—it felt amazing! Soon, word spread & our work got covered in the Tata group of companies’ newsletter. People wanted to buy our collars, but we had no funding. That’s when my dad asked me to write a letter to Mr. Ratan Tata, since he loves dogs too. I was hesitant, but then I thought, ‘Why not?’ So I wrote him a handwritten letter & forgot about it! Two months later, I received a letter from Mr. Ratan Tata himself! When I opened it, it said that he loved our work & would like to meet me—I couldn’t believe it! A few days later I met him at his office in Mumbai. He told me,‘I’m deeply touched by the work you do!’ I still get goosebumps thinking about it. He then took me to see his dogs & that’s how our friendship began. He also funded our venture! I left for my masters soon, but I promised him that once I finished, I would work for the Tata Trust & he accepted my request! As soon as I came back to India, he called me & said ‘I have a lot of work to be done in my office. Would you like to be my assistant?’—I didn't know how to react. So I took a deep breath, & a few seconds later said ‘Yes!’ It’s been 18 months since I’ve been working for him & even now, I have to pinch myself to know that this isn’t a dream. People my age have a hard time finding the right set of friends, the right mentor & the right kind of boss. But I can’t believe my stars that I found all these humans in one superhuman named Mr. Ratan Tata. People lovingly call him Boss, but I like to call him the ‘Millennial Dumbledore’—I think that name suits him the best." A post shared by Humans of Bombay (@officialhumansofbombay) on

 

शांतनु के इस प्रयास की हर किसी ने सराहना की लेकिन उसके पास इस तरह के और पट्टे बनाने के लिए पैसों की कमी पड़ रही थी। इसके बाद उसके पिता ने उसे रतन टाटा को लेटर लिखने की सलाह दी चूंकि रतन टाटा भी कुत्तों से बेहद प्रेम करते हैं। शांतनु ने बताया कि पहले वह हिचकिचाया लेकिन फिर उसने हाथों से लिखी हुई चिट्ठी रतन टाटा को भेजी। 

वह इस चिट्ठी के बारे में लगभग भूल ही गया था लेकिन दो महीने के बाद जो हुआ उससे उसकी जिंदगी ही बदल गई। उसे दो माह के बाद जवाब में रतन टाटा की चिट्ठी मिली जिसमें उन्होंने लिखा था कि उन्हें उसका काम बेहद पसंद आया और वह उससे मिलना चाहते हैं। उसने बताया कि मुझे इस चिट्ठी पर यकीन ही नहीं हुआ। उसने बताया कि कुछ दिनों के बाद मुंबई में उनके ऑफिस पर मेरी मुलाकात हुई। मिलने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि वे मेरे काम से बेहद प्रभावित हुए हैं।

मुझे ये सभी कुछ सपने जैसा लग रहा था। वे इसके बाद मुझे अपने कुत्तों से मिलवाने ले गए और यहीं से हमारी दोस्ती हो गई। उन्होंने मुझे चार कंपनियों के लिए फंड ऑफर किया। मुझे मास्टर्स पूरा करने के लिए जाना था, लेकिन मैंने उनसे वादा किया कि एक बार मैं फ्री हो जाउं फिर मैं टाटा ट्रस्ट के लिए काम करुंगा और उन्होंने मेरा अनुरोध स्वीकार कर लिया। सोशल मीडिया पर ये पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है। सभी को ये पोस्ट बेहद प्रेरणादायक लग रही है।  

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