जयपुर : राजपूतों की शान कहे जाने वाला साफा एक बार फिर से चर्चा में है। इन दिनों राजपूतों का ये साफा इसलिए चर्चा में है क्योंकि जयपुर में शुद्ध सोने और चांदी के पतले धागों से की मदद से ये साफा तैयार किया गया है। ऐसा साफा सबसे पहले 80 साल पहले राजपूतों के द्वारा पहना गया था।
जयपुर के एक डिजाइनर राजपूतों के इस पारंपरिक परिधान को एक बार फिर से रिक्रियेट किया है और चर्चा में आ गए हैं। भूपेंद्र सिंह शेखावत नाम के ये डिजाइनर ने इस साफा को तैयार करने में 4 साल का समय लगाया। इसके लि 24 कैरेट सोने और शुद्ध चांदी के पतले तारों को धागों की तरह तैयार किया गया है।
बता दें कि ये ये साफा जिसे टर्बन भी कहा जाता है यह राज्य में पुरुषों के द्वारा पारंपरिक परिधान के तौर पर सिर पर बांधा जाता है। शेखावत के द्वारा तैयार किया गया ये साफा करीब 22 लाख रुपए की कीमत का है जिसका वजन करीब 530 ग्राम है। वहीं इसकी लंबाई की बात की जाए तो ये 9 मीटर लंबा बताया जा रहा है।
बाद में यह महंगा होने के कारणों से चलन से बाहर हो गया। अब भारत में कहीं भी सोने का साफा नहीं बनाया जाता है। यह राजपूतों को सिग्नेचर साफा का अपील देता है। उन्होंने आगे कहा कि करीब 48 लोगों ने इसे बनाने में मेरी मदद की।
सबसे पहले हमने सस्ते मेटल जैसे कॉपर से प्रयोग किया बाद में हमने सोने और चांदी का उपयोग किया। शेखावत ने बताया कि इसके बारे में जानकारी मिलने पर राजस्थान के एक उद्योगपति ने पहले ही ऑर्डर कर दिया है।