नई दिल्ली: ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में कई जगहों पर कोरोना वायरस के कहर से हाहाकार मचा हुआ है और ज्यादातर देशों में भय का माहौल है, तब दुनिया की अग्रणी स्पेस एजेंसी नासा ने एक ऐसी जगह बताई है जहां पर रहने वाले लोग बीमार नहीं पड़ते और इसके पीछे की वजह एक खास तकनीक है। यहां रहने वाले लोगों के गंभीर बीमारी की चपेट में आने का कोई इतिहास नहीं है और सिर्फ एक बार एक व्यक्ति को जुकाम हुआ था वो भी 52 साल पहले।
इस खास जगह का नाम है- अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस)। 164 से ज्यादा देशों में 2 लाख लोगों के कोरोना वायरस की चपेट में आने और 8 हजार के जान गंवाने के बीच नासा ने स्पेस स्टेशन को कोरोना वायरस सहित तमाम बीमारियों के लिहाज बेहद सुरक्षित बताया है और इसके पीछे हेल्थ स्टेबलाइजेशन तकनीक के होने की बात कही है।
(अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन, Photo- Getty Images)
हेल्थ स्टेबलाइजेशन सिस्टम: नासा ने यह बताया है कि कैसे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को बीमारियों से दूर रखा है। इसके लिए अंतरिक्ष एजेंसी एक खास हेल्थ स्टेबलाइजेशन सिस्टम का इस्तेमाल करती है। इस तकनीक की मदद से स्पेस स्टेशन में रह रहे अंतरिक्षयात्रियों की सेहत पर लगातार नजर रखी जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन: स्पेस स्टेशन धरती की निचली कक्षा में चक्कर लगाता हुआ एक ठिकाना है जहां पर अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री कुछ समय के लिए ठहरते हैं और यहां अहम रिसर्च और प्रयोगों को अंजाम देते हैं। यह पृथ्वी के चारों ओर घूमते किसी बड़े सैटेलाइट की तरह है।
मिशन अपोलो-7 में अंतरिक्ष यात्री को हुआ जुकाम: साल 1968 में लॉन्च किए गए अपोलो-7 मिशन के दौरान नासा के अंतरिक्ष यात्री वैली शीरा को अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन में रहते हुए जुकाम हो गया था। उनके साथ डॉन एफ. ईसल और वॉल्टर कनिंघम नाम के दो अंतरिक्ष यात्री थे और इन सभी लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था क्योंकि वैली के छीकने पर नाक निकली बूंदें गुरुत्वाकर्षण न होने की वजह से हवा में तैरती रहती थीं। इसके बाद ही नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों को बीमारी से बचाने की तकनीक बनाने पर काम शुरु किया।
अंतरिक्ष भेजने से पहले 10 दिन तक निगरानी: नासा मई महीने में स्पेस एक्स कंपनी के रॉकेट से कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन भेजने वाला है। इससे पहले उन्हें करीब 10 दिन के लिए निगरानी में रखा जाएगा और उनके स्वास्थ्य की लगातार जांच होगी ताकि कोरोना का संक्रमण अंतरिक्ष तक न पहुंच सके।
हाईटेक सुविधाएं: बीमार लोगों के लिए स्पेस स्टेशन में एक खास जगह होती है जहां बीमार होते ही अंतरिक्ष यात्री को अलग रखा जाता है। हालांकि इसके इस्तेमाल की नौबत नहीं आती है। स्पेस स्टेशन में सैनेटाइज करने वाले कैमिकल होते हैं और जरूरत पड़ने पर पूरे स्पेस स्टेशन को सैनेटाइज किया जा सकता है। इमरजेंसी आने पर स्पेस स्टेशन से तुरंत निकलकर धरती पर आने की सुविधा भी हमेशा मौजूद रहती है।