UP: 10 दिन में हो सकेगा गन्ना किसानों का भुगतान! CM योगी के मंत्री- बना रहे 'सिस्टम'

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भाषा
Updated Jul 30, 2022 | 13:32 IST

भाजपा के शीर्ष नेताओं और आदित्यनाथ ने भी किसानों की अनदेखी के विपक्ष के आरोप को खारिज कर दिया था।

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • गन्ना विकास मंत्री का आया बयान- भुगतान की प्रक्रिया में तेजी आई है
  • CM योगी के नेतृत्व में राज्य में गन्ना किसानों के लिए मुख्य फसल बन गया
  • बीते शासन में किसानों को 1.80 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया

उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा है कि राज्‍य सरकार ऐसा तंत्र विकसित कर रही है जिससे किसानों को गन्ने का भुगतान 14 दिनों के बजाय 10 दिनों के भीतर किया जा सके। गन्ना विकास मंत्री ने कहा कि सरकार ने गन्ना किसानों को भुगतान की प्रक्रिया में तेजी लाई है और दूसरी बार बनी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने 100 दिनों में 8,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 14,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

‘पीटीआई-भाषा’ को दिये गये साक्षात्कार में चौधरी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में गन्ना किसानों के लिए मुख्य फसल बन गया है। उन्होंने बताया कि इस साल, मिलों ने 35,000 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है और अब तक 29,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के बीच, हाल में संपन्न हुए राज्य विधानसभा चुनाव में विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्‍ना उत्‍पादकों ने सक्रिय भागीदारी निभाई और गन्ना किसानों के मसले को भी चुनावी मुद्दा बनाया।

दावा- 2017 से पहले की तुलना में कई गुना अधिक भुगतान 
भाजपा के शीर्ष नेताओं और आदित्यनाथ ने भी किसानों की अनदेखी के विपक्ष के आरोप को खारिज कर दिया था। योगी समेत अन्य नेताओं ने आंकड़ों के साथ यह दावा किया था कि राज्य सरकार ने 2017 से पहले की सरकारों की तुलना में गन्ना किसानों को कई गुना अधिक भुगतान किया है। मंत्री ने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में पिछले पांच वर्षों में गेहूं खरीद के बाद किसानों को 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि किसानों को उनसे धान की खरीद के लिए 60,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

किसानों को 1.80 लाख करोड़ रुपये का भुगतान
मंत्री ने कहा कि आदित्यनाथ के पिछले शासन के दौरान गन्ना किसानों को 1.80 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था और उनके खातों में धन हस्तांतरित किया गया था। चौधरी ने दावा किया कि राज्य में गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है और पिछली सरकारों द्वारा बंद की गई चीनी मिलों को फिर से शुरू किया गया है और उनकी क्षमता में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘दो साल के समय में हम ऐसी स्थिति बनाना चाहते हैं कि किसान को गन्ने का भुगतान 14 दिनों के मौजूदा प्रावधान की तुलना में 10 दिनों के भीतर किया जाए।’’ चौधरी ने बताया कि गन्ने की नयी किस्मों के लिए शोध जारी है और आगामी एक-दो वर्षों में हम अच्छी गुणवत्ता वाले बीज विकसित करेंगे जिससे उत्पादन बढ़ेगा।

कांग्रेस पर किया कटाक्ष- कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष खोजने में असमर्थ 
मथुरा की छाता सीट से पांच बार के विधायक चौधरी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में कांग्रेस अपनी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष खोजने में असमर्थ है। विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार ‘लल्लू’ ने अपना त्यागपत्र सौंप दिया था और उनका इस्तीफा मंजूर भी हो गया, लेकिन कांग्रेस में अब तक नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी है।

गठबंधन की राजनीति में अखिलेश पूरी तरह फेल
प्रमुख जाट नेता चौधरी ने समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा और कहा कि सपा प्रमुख गठबंधन की राजनीति में ‘‘पूरी तरह से विफल’’ हैं। चौधरी ने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक ऐसे नेता हैं, जो एक सामान्य परिवार से आते थे और उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार नेतृत्व किया और चौथी बार पूर्ण बहुमत से बनी सरकार की जिम्मेदारी अपने बेटे को सौंप दी, लेकिन अखिलेश सत्ता की बागडोर संभालने में असमर्थ थे।’’

उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘नेताजी’ (मुलायम सिंह यादव) ‘‘गठबंधन बनाने में माहिर’’ थे। जरूरत पड़ने पर उन्होंने कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और यहां तक कि कम्युनिस्टों के साथ गठबंधन किया। हालांकि, गठबंधन की राजनीति में अखिलेश पूरी तरह विफल रहे हैं। चौधरी (71) को राज्य में मायावती के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान ‘‘जाट चेहरा’’ माना जाता था, जो 2015 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। चौधरी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में भी मंत्री थे। 

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