Mar 17, 2025
शहरयार के 10 मशहूर शेर: स्याह रात नहीं लेती नाम ढलने का, यही वक्त है सूरज तिरे निकलने का
Suneet Singh
जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने, इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने
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जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा, तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा
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शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को, मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को
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शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है, रिश्ता ही मिरी प्यास का पानी से नहीं है
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ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता, मैं तुझ से जुदा हो के भी तन्हा नहीं होता
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या तेरे अलावा भी किसी शय की तलब है, या अपनी मोहब्बत पे भरोसा नहीं हम को
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