इस्लामाबाद/काबुल : अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान के आने के बाद से सबसे अधिक चिंता महिलाओं के अधिकारों को लेकर जताई जा रही है। तालिबान ने यहां महिलाओं के अधिकारों पर पाबंदी लगाने वाला एक विभाग भी बनाया है, जिसे 'सदाचार प्रचार एवं अवगुण रोकथाम' मंत्रालय नाम दिया गया है। इन सबके बीच पाकिस्तान में भी तालिबान के इन कदमों का समर्थन करने वाले गुट नजर आने लगे हैं।
पाकिस्तान में महिलाओं के एक मदरसे पर तालिबान के झंडे देखे गए हैं, जिसके बाद से ऐसे सवाल लोगों के मन में उठने लगे हैं कि क्या यहां भी महिलाओं के अधिकारों में कटौती होगी? यह मामला पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद का है, जहां महिला मदरसे जामिया हफ्सा की छत पर शनिवार को अफगान तालिबान के सफेद झंडे देखे गए। 21 अगस्त के बाद यह तीसरी बार है जब यहां अफगान तालिबान के झंडे देखे गए हैं।
इसके लिए सीधे तौर पर इस्लामाबाद की प्रसिद्ध लाल मस्जिद के मौलवी मौलाना अब्दुल अजीज को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जो खुलेआम कई बार अफगान तालिबान के नाम का इस्तेमाल करते हुए पुलिस को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे चुका है। समाचार एजेंसी डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, मौलवी और मदरसे से जुड़ कुछ अन्य लोगों ने हथियारों का प्रदर्शन भी किया। इसमें मदरसे के कई छात्र और शिक्षक भी शामिल रहे।
पाकिस्तान पुलिस को जैसे ही महिलाओं के मदरसे पर अफगान तालिबान का झंडा लहराने के बारे में सूचना मिली, एक टीम मौके पर पहुंची, जहां उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। बाद में दंगा रोधी टीम सहित पुलिस के एक दल ने मदरसे की घेराबंदी कर हालात पर काबू किया और अफगान तालिबान के झंडे को मदरसे की छत से उतारा गया। पुलिस ने इस मामले में मौलवी और उसके सहयोगियों के खिलाफ केस दर्ज किया है।