Suicide Attack in Kabul: काबुल में आत्मघाती हमला, कम से कम 30 लोगों की मौत

दुनिया
किशोर जोशी
Updated Oct 25, 2020 | 06:46 IST

अफगानिस्तान में एक बार फिर आत्मघाती हमला हुआ है जिसमें खबर लिखे जाने तक 30 लोगों की मौत हो गई है जबकि 70 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं।

Afghanistan At least 30 killed in suicide bombing at Kabul education centre
काबुल में आत्मघाती हमला, कम से कम 30 लोगों की मौत 
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में फिर से आत्मघाती हमला
  • इस आत्मघाती हमले में कम से कम तीस लोगों की हो चुकी है मौत
  • इस्लामिक स्टेट ने आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी

काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी में एक शिक्षा केंद्र के पास आत्मघाती बम हमले में मरने वालों की संख्या 30 हो गई है, जबकि कम से कम 70 अन्य घायल हो गए हैं।  इस बीच, अफ़ग़ान स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सूत्र ने स्पुतनिक को बताया कि घायलों में से 37 को काबुल के जिन्ना अस्पताल ले जाया गया है। यह हमला शनिवार रात हुआ जब  एक आत्मघाती हमलावर ने काबुल के पश्चिमी दश्त-ए-बारची के निकट पुल-ए-खोश क्षेत्र में स्थित कवसर ई-दानिश शिक्षा केंद्र के पास एक बम धमाका कर दिया।

आईएस ने ली जिम्मेदारी

मौके पर ही 13 लोगों की मौत हो गई थी जबकि उस समय 30 अन्य लोग घायल हो गए थे। धीरे-धीरे मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के अनुसार, हमलावर शिक्षा केंद्र में घुसने का प्रयास कर रहा था। इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी संगठन ने काबुल में शनिवार के हमले की ज़िम्मेदारी ली है। इससे पहले, तालिबान ने हमले के साथ किसी भी संबंध को खारिज कर दिया था।

2018 में भी हुआ था इसी तरह का हमला
आपको बता दें कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठन ने इससे पहले अगस्त 2018 में इसी तरह शिक्षण केंद्र पर हुए हमले की भी जिम्मेदारी ली थी जिसमें 34 विद्यार्थियों की मौत हुई थी। अफगानिस्तान के भीतर इस्लामिक स्टेट ने बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक शियाओं, सिखों और हिंदुओं पर हमने शुरू किया है जिन्हें वह गैर मजहबी मानता है।


सक्रिय है आईएस
काबुल में इस्लामिक स्टेट के प्रति वफादार एक बंदूकधारी द्वारा काबुल में धार्मिक स्थल पर हमला करने और 25 लोगों की हत्या के बाद सितंबर में हिंदू और सिख समुदाय के सैकड़ों लोगों ने देश से पलायन किया है।वहीं, अमेरिका ने फरवरी में तालिबान के साथ शांति समझौता किया है जिससे देश से अमेरिकी बलों की वापसी का रास्ता खुल गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इस समझौते से इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। इस्लामिक स्टेट, तालिबान का प्रतिद्वंद्वी है।
 

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