चीनी वैज्ञानिकों का अजीबोगरीब दावा- भारत में पैदा हुआ कोरोना वायरस, दिया ये तर्क

कोरोना वायरस को लेकर दुनिया के कई देशों के निशाने पर आया चीन अब बचने का रास्ता खोज रहा है। उसके वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस वायरस की उत्पत्ति भारत में हुई, और फिर ये दुनिया में फैला।

Coronavirus
कोरोना वायरस को लेकर नया दावा 
मुख्य बातें
  • कोरोना वायरस को लेकर चीनी वैज्ञानिकों का दावा
  • कोरोना वायरस के लिए भारत को ठहराया जिम्मेदार
  • कोरोना वायरस संभवत: साल 2019 की गर्मियों में भारत में पैदा हुआ हो: वैज्ञानिक

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी को लेकर शुरू से एक ही दावा किया जा रहा है कि इसकी उत्पत्ति चीन से हुई। चीन के शहर वुहान से ही ये पूरी दुनिया में फैला। लेकिन चीन अब इससे खुद को अलग करने के लिए अलग चाल चल रहा है। चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस भारत में उत्पन्न हुआ। चीनी वैज्ञानिकों का तर्क है कि भारत में जुलाई-अगस्त 2019 में इसकी उत्पत्ति हुई थी। यहां मई-जून में असहनीय गर्मी ने जानवरों और मनुष्यों को समान जल स्रोतों को साझा करने के लिए मजबूर किया।

चीनी मीडिया ने हाल के दिनों में रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया है कि विभिन्न देशों के कई खाद्य उत्पादों, जिनमें भारत से मछली की एक खेप शामिल है, उसमें कोविड-19 के निशान पाए गए। इसमें आरोप लगाया गया कि हो सकता है कि वायरस विदेशी मार्गों से चीन में प्रवेश किया हो।

वुहान में आया था पहला मामला

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के शोधकर्ताओं की एक टीम का दावा है कि वायरस दूषित पानी के माध्यम से जानवरों से मनुष्यों में गया, इससे पहले कि वह वुहान तक न जाए। पहली बार पता चला था। इसके बाद ये वुहान पहुंच गया, जहां से कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया। चीन दावा करता रहा है कि सिर्फ इसलिए कि कोरोना का पहला मामला वुहान में दर्ज किया गया इसका मतलब यह नहीं है कि वायरस उत्पन्न भी वहां से हुआ है। 

तनाव के बीच लगाया आरोप

कोरोना वायरस के प्रकोप के लिए चीन इससे पहले इटली, अमेरिका और यूरोप को दोषी ठहरा चुका है। भारत पर उसने नया दोष तब मढ़ा है, जब दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। चीनी वैज्ञानिकों का दावा है कि पानी की कमी के कारण जंगली जानवर जैसे बंदर पानी के लिए अक्‍सर लड़ पड़ते हैं और इससे संभव है कि इंसान और जानवरों के बीच संपर्क का खतरा बढ़ गया हो। यह भी कहा गया है कि भारत की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और युवा आबादी ने वायरस को कई महीनों तक फैलने दिया और उसकी पहचान नहीं हो पाई।

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