नई दिल्ली: एक हफ्ते में तालिबान को 3 बड़े झटके लगे हैं। बीते मंगलवार को अमेरिका ने अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक डा अफगानिस्तान बैंक की 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है। जो कि अमेरिका के बैंकों में जमा है। इसके अलावा बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)ने 450 मिलियन डॉलर सहायता राशि को भी रोक दिया है। जो कि उसे अगले हफ्ते मिलने वाली थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की अफगानिस्तान को यह अभी तक की सबसे बड़ी सहायता राशि थी। इसके अलावा अमेरिका डॉलर के रूप में अफगानिस्तान को भेजी जाने वाली शिपमेंट को पिछले हफ्ते रोक चुका है। जाहिर है पहले से डावांडोल हो चुकी अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह बड़ा झटका है। करीब 20 अरब डॉलर जीडीपी वाली अफगान अर्थव्यवस्था के लिए यह प्रतिबंध बड़ी समस्या खड़ी कर सकते हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान द्वारा किए जाने वाले कुल सार्वजनिक खर्च की 75 फीसदी रकम अनुदान से आती है।
आईएमएफ ने क्या कहा
मदद रोके जाने पर आईएमएफ की प्रवक्ता गैरी राइस ने कहा है "मौजूदा समय में अफगानिस्तान की सरकार को मान्यता देने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अनिश्चितता है। इसे देखते हुए आईएमएफ ने स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीआर) को रोकने का फैसला किया है। " जाहिर है अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान की सरकार बनने से असमंजस में हैं। उन्हें इस बात का डर है कहीं इस तालिबान इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में न करने लगे।
अमेरिका में कितना है जमा
अफगानिस्तान सेंट्रल बैंक के गवर्नर अजमल अहमदी ने ट्वीट कर बताया है कि बैंक का अमेरिकी फेडरल रिजर्व के पास यूएस बिल और बांड , गोल्ड , कैश आदि के रुप में 7 अरब डॉलर की रकम जमा है। इसके अलावा इंटरनेशन अकाउंट के तहत 1.3 अरब डॉलर, बीआईएस के रूप में 0.7 अरब डॉलर की रकम जमा है। जाहिर है 20 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए यह रकम काफी मायने रखती है। ऐसे में तालिबान के देश चलाना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
तालिबान के पास क्या है विकल्प
इन प्रतिबंधों के बाद अजमल अहमदी ने ट्वीट कर बताया है कि इस समय तालिबान , दुनिया भर में अफगानिस्तान के मौजूद कुल जमाओं का 0.1 फीसदी से 0.2 फीसदी रााशि ही इस्तेमाल कर सकता है। जाहिर है आर्थिक संकट गहराने वाला है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार सेंट्रल बैंक की तिजोरी में करीब 159600 अमेरिकी डॉलर का गोल्ड और चांदी के सिक्के मौजूद हैं। इसके अलावा बैंकों के पास 362 मिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा मौजूद है। जो इस समय तालिबान के कब्जे में हैं।
अवैध रुप से 1.6 अरब डॉलर की कमाई करता है तालिबान
तालिबान एस आतंकी संगठन है,ऐसे में उसकी प्रमाणिक कमाई के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन रेडियो फ्री यूरोप रेडियो लिबर्टी को नाटो की मिली रिपोर्ट के अनुसार ड्रग्स, सीमा करने वाले वस्तुओं पर टैक्स, अवैध खनन के जरिए तालिबान औसतन सालाना1.5 अरब डॉलर की कमाई करते हैं। और मार्च 2020 में यह बढ़कर 1.6 अरब डॉलर तक पहुंच गई। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र संघ की जून 2021 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में केवल अवैध खनन से 464 मिलियन डॉलर का लाभ कमा चुका है।
बुरी स्थिति में हैं अफगान नागरिक
एशियाई विकास बैंक (ADB)की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में देश की 47 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करती है। जबकि 34.3 फीसदी ऐसे लोग हैं जो केवल हर 1.90 डॉलर (करीब 150 रुपये) की कमाई करते हैं। बिजनेस के लिए अफगानिस्तान दुनिया के 190 देशों में 173 वें नंबर पर है। और वहां पर 11.7 फीसदी बेरोजगारी दर थी।
ये बन सकते हैं कमाई का जरिया
ऐसे में तालिबान के सामने अपने खनिज संपदा से कमाई का जरिया खड़ा करने का रास्ता दिखता है। विभिन्न एजेंसियों के अनुमान के अनुसार अफगानिस्तान में 400 अरब डॉलर के लौह अयस्क, 270 अरब डॉलर के कॉपर, 25 अरब डॉलर का सोना , 50 अरब डॉलर का कोबाल्ट मौजूद हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान में करीब 1600 मिलियन बैरल कच्चा तेल और 15 हजार ट्रिलियन क्यूबिक फुट से ज्यादा गैस मौजूद है। इसके अलावा रेयर अर्थ मेटल्स का प्रचुर भंडार है। जिसका आधुनिक तकनीकी में कहीं ज्यादा इस्तेमाल होता है। और अभी तक चीन और पाकिस्तान ही ऐसे देश है जो खुलकर तालिबान के साथ खड़े है। चीन की इन खनिज भंडारों पर शुरू से ही नजर है। ऐसे में आने वाले समय में यह भंडार तालिबान की कमाई का जरिया बन सकते हैं। लेकिन इसका फायदा उसे तुरंत नहीं मिलने वाला है।