नई दिल्ली। दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क का ताकतवर शख्स इन दिनों चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन पर खफा है। यहां हम बात अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप की कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण और विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर पहले है ऐतराज जता चुके ट्रंप ने आंशिक तौर पर फंड रोक दी है और अब वो कहते हैं कि अगर कोरोना के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके निदेशक डॉ ट्रेडास सही जानकारी नहीं देंगे तो पूरी तरह से फंडिंग रोक देंगे। जिस तरह से डॉ ट्रेडॉस गलत कदम उठाते रहे उसका खामियाजा पूरी दुनिया भुगत रही है। अब सिर्फ एक ही रास्ता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन खुद को चीन से आजाद करे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन को चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप पहले भी कह चुके हैं कि जिस तरह से जानकारियां सामने आ रही हैं उसमें चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका संदेह के घेरे में है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि अगर कोरोना वायरस का फैलाव गलती से हुआ तो वो गलती है। लेकिन अगर जानबूझकर पूरी दुनिया को मौत के मुंह में ढकेला गया है तो खामियाजा भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका 500 मिलियन डॉलर की मदद देता है जबकि चीन सिर्फ 36 मिलियन डॉलर। अब उनके अधिकारियों को सोचना होगा कि उन्हें क्या करना चाहिए।
WHO और चीन को था सबकुछ पता !
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वो सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि जब चीन में कोरोना वायरस दिसंबर के महीने में रिपोर्ट हुई और यह भी सामने आया कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से एक महीने की देरी क्यों की गई। इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ के अधिकारी अलग अलग तरह से बातें क्यों करते रहे। यह निश्चित तौर पर पहली नजर में लापरवाही। फिर भी हम चाहते हैं कि इस विषय पर गहराई से जांच पड़ताल हो। अमेरिका का मानना है कि यह समझ से बाहर है कि चीन का हुबेई ही इससे प्रभावित हुआ जबकि चीन के दूसरे प्रांतों में केस नहीं या कम मिले। ऐसे में लगता है कि चीन की नीयत साफ नहीं थी और वो पूरी मानवता को खतरे में डालने का मन बनाया और नतीजा सबके सामने है।