Milk price : दूध की खपत घटी, किसानों को नहीं मिल रहा है उचित भाव, सस्ते में बेचने पर मजबूर

बिजनेस
आईएएनएस
Updated Jun 29, 2020 | 18:04 IST

Corona virus effect : भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जहां रोजाना करीब 50 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है।

Consumption of milk decreased, farmers are not getting fair price
44 रुपए वाला दूध 30 रुपए किलो बेचने पर मजबूर हैं किसान 
मुख्य बातें
  • होटल, रेस्तरां, कैंटीन और हलवाई की दुकानों में दूध की खपत घट गई है
  • लॉकडाउन से पहले किसान जिस भाव पर दूध बेच रहे थे, अब उसे कम पर बेचना पड़ रहा है
  • विदेशों से सस्ता मिल्ड पाउडर आयात होने से दूध की खपत पर और असर पड़ने की संभावना है

नई दिल्ली : कोरोना काल में दूध की खपत घटने की मार किसानों पर पड़ी है। खपत कम होने की वजह से किसानों को दूध का बाजिव दाम नहीं मिल पा रहा है। होटल, रेस्तरां, कैंटीन और हलवाई की दुकानों में दूध की खपत घट जाने से कीमतों में गिरावट आई है। लॉकडाउन से पहले किसान जिस भाव पर दूध बेच रहे थे, उसके मुकाबले अब करीब 25 फीसदी कम भाव पर बेचने को मजबूर हैं।

भारत में रोजाना 50 करोड़ लीटर दूध का होता है उत्पादन

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जहां रोजाना करीब 50 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है। कोरोना काल में शादी-समारोह व अन्य बड़े आयोजनों पर पाबंदी होने और होटल, रेस्तरां, व कैंटीन ठीक ढंग से नहीं खुलने के कारण दूध और इससे बने उत्पाद खासतौर से आइसक्रीम की मांग पर असर पड़ा है। इस तरह खपत कम हो जाने से किसानों को दूध का उचित भाव नहीं मिल रहा है।

 44 रुपए वाला दूध 30 रुपए किलो बेचने पर हुए मजबूर

उत्तर प्रदेश के 10 जनपदों में किसानों से दूध खरीदने वाले किसान उत्पादक संगठन सहज मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ बसंत चौधरी ने बताया कि कोरोना का कहर बरपने से पहले किसानों को जहां एक किलो दूध का भाव 44 रुपए मिलता था, वहां देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान दूध का भाव 30 रुपये प्रति किलो तक गिर गया था। हालांकि अनलॉक होने पर इस महीने दूध के दाम में थोड़ा सुधार हुआ है।

कंपनी किसानों से खरीद रही है 37 रुपए प्रति लीटर दूध 

बसंत चौधरी ने बताया कि इस समय उनकी कंपनी किसानों से 37 रुपए प्रति लीटर दूध खरीद रही है। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी दरअसल किसानों का ही संगठन है, इसलिए थोड़ा ज्यादा भाव पर दूध खरीद रही है, लेकिन निजी डेयरी कंपनियां इस समय भी 32.33 रुपये लटर दूध खरीद रही है। आनंदा डेयरी के चेयरमैन राधेश्याम दीक्षित ने भी कहा कि दूध की खपत कम होने से किसानों को उचित भाव नहीं मिल पा रहा है।

मिल्क पाउडर का आयात करने की दी गई अनुमति 

इस बीच सरकार ने 15 फीसदी आयात शुल्क पर टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर का आयात करने की अनुमति दी है। विदेशों से सस्ता मिल्ड पाउडर आयात होने से दूध की खपत पर और असर पड़ने की संभावना है। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक डॉ. आर.एस. सोढ़ी इसे असमय लिया गया फैसला करार देते हैं। उनका कहना है कि दूध उत्पादन की लागत भारत में विदेशों से ज्यादा है। इसलिए मिल्क पाउडर आयात का प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। 

डेयरी उद्योग कोराना काल में खपत से ज्यादा जो दूध बचता है, उसका इस्तेमाल मिल्ड पाउडर और घी बनाने में कर रहा है। बसंत चौधरी बताते हैं कि मिल्क पाउडर की सप्लाई ज्यादा होने से दूध के दाम पर दबाव बना हुआ है।
 

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