नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम जिंबाब्वे दौरे पर 3-0 के अंतर से जीत दर्ज करने के बाद एशिया कप में शिरकत करने के लिए तैयार है। ऐसे में पूर्व कोच रवि शास्त्री ने टीम इंडिया को टी20 फॉर्मेट में अपनी बल्लेबाजी के मौजूदा आक्रामक रवैये में तब्दीली नहीं करने की सलाह दी है।
पिछले टी20 विश्व कप में भारतीय टीम पारंपरिक तरीके से बल्लेबाजी करके टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी। वो रवि शास्त्री का बतौर कोच और विराट कोहली का टी20 कप्तान आखिरी अभियान था।
पहले डरकर कर रहे थे बल्लेबाजी
ऐसे में शास्त्री ने कहा, भारतीय टीम को अपनी एप्रोच में बदलाव नहीं करना चाहिए। जो उन्होंने टी20 विश्व कप के बाद दिखाई है। जब मैं कोच था उस वक्त भी हमने यह चर्चा की थी हमारे टॉप ऑर्डर ने मध्यक्रम की बल्लेबाजी को ध्यान में रखते हुए थोड़े डरे हुए अंदाज में बल्लेबाजी की थी।
नहीं छोड़ना चाहिए अक्रामक रवैया
शास्त्री ने भारतीय टीम की मौजूदा आक्रामक एप्रोच का समर्थन करते हुए कहा, यह एप्रोच सही है। ऐसा करके आप कुछ मैच हार सकते हो लेकिन एक बार आप जीत हासिल करने लगते हैं तो आप बड़े मैचों में उस आत्मविश्वास को लेकर आगे बढ़ सकते हैं और उसी रणनीति का उपयोग कर सकते हैं।'
सीनियर खिलाड़ी कर सकते हैं युवाओं जैसे प्रदर्शन
सीनियर खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी में युवा खिलाड़ियों ने जो आक्रामक रवैया दिखाया क्या वापसी के बाद सीनियर खिलाड़ी वैसा कर सकते हैं इसके जवाब में शास्त्री ने कहा, क्यों नहीं! वो बेहद अनुभवी हैं, उन्होंने पर्याप्त संख्या में आईपीएल और टी20 मैच खेले हैं। उनके लिए तालमेल बैठाना मुश्किल नहीं होगा। ऋषभ पंत, हार्दिक पांड्या, रवींद्र जडेजा की मौजूदगी से टीम की बल्लेबाजी में पर्याप्त गहराई है। अगर टॉप ऑर्डर नाकाम रहता है तो भी इन खिलाड़ियों में टीम को संभालने की क्षमता है।
मैनेज करना चाहिए हार्दिक और बुमराह का वर्कलोड
हार्दिक पंड्या और जसप्रीत बुमराह के ऊपर पड़ रहे बोझ के बारे में शास्त्री ने कहा, ऑलराउंडर के रूप में हार्दिक पांड्या के लौटने से टीम में संतुलन बढ़ा है। भारतीय टीम की वो सबसे अहम कड़ी हैं। पिछले साल के विश्व कप में हमें उनकी गेंदबाजी की कमी खली थी। उनके पास जो खूबी गुणवत्ता है और कोई उसके करीब भी नहीं है। उनके और जसप्रीत बुमराह पर बेहद करीब से नजर रखनी होगी जिससे कि वो चोटिल ना हों। दोनों ही टीम के बेहद अहम खिलाड़ी हैं।
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