कोलकाता: मुकेश कुमार के पिता काशीनाथ कोलकाता में टैक्सी चलाते थे। उनका सबसे छोटा बेटा बिहार के गोपालगंज जिला में बड़ा हुआ। पिछले साल 28 नवंबर को केरल के खिलाफ बंगाल के रणजी ट्रॉफी के उद्घाटन मैच से पहले काशीनाथ का निधन हो गया। कुमार का प्रथम श्रेणी में शानदार समय सुख और दुख के साथ मिला हुआ है। मुकेश कुमार ने रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में कर्नाटक के खिलाफ दूसरी पारी में 6 विकेट चटकाए और बंगाल को 2006-07 के बाद पहली बार फाइनल में पहुंचाया।
वैसे, बंगाल ने 14वीं बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में प्रवेश किया। मैच के बाद इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कुमार ने कहा, 'ये 6 विकेट पापा के लिए हैं।' कुमार ने अपने साथी इशान पोरेल और आकाश दीप के साथ कर्नाटक को दूसरी पारी में केवल 177 रन पर ढेर करके बंगाल को 174 रन के विशाल अंतर की जीत दिलाई। अनुस्तुप मजुमदार ने पहली पारी में नाबाद 149 रन बनाए थे, जिसकी बदौलत बंगाल ने पहली पारी में 312 रन बनाए थे। मेजबान टीम एक समय 67/6 की खराब स्थिति में थी।
...जब क्रिकेट किट तक नहीं थी
इसके बाद पोरेल ने कर्नाटक की पहली पारी में पांच विकेट चटकाए और मेहमान टीम को 122 रन के मामूली स्कोर पर ऑलआउट कर दिया। 190 रन की बढ़त बंगाल के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई क्योंकि उसकी दूसरी पारी 161 रन पर सिमटी थी।
2015 में जब कुमार का बूची बाबू टूर्नामेंट के लिए बंगाल की टीम में चयन हुआ था तब उनके पास क्रिकेट किट तक नहीं थी। मध्यम गति के गेंदबाज ने याद किया, 'मनोज भैया मेरेको बैट, पैड और ग्लव्स दिया था।' इससे एक साल पहले जब कुमार को कैब विजन 2020 प्रोग्राम के तहत शामिल किया गया था तब उनके पास गेंदबाजी करने वाले अच्छे जूते तक नहीं थे। इस पर मुकेश ने कहा, 'राणा दा (बंगाल टीम के गेंदबाजी कोच रणदेब बोस) ने डेबू दा (कैब संयुक्त सचिव और टाउन क्लब अधिकारी देबब्रत दास) को बोल कर वो अरेंज किया था।'
पांडे को आउट करने की योजना
26 के साल मुकेश ने कर्नाटक के दिग्गजों मनीष पांडे, करुण नायर और देवदत्त पड़ीक्कल को अपना शिकार बनाया। पांडे के खिलाफ उनकी रणनीति स्पष्ट थी। मुकेश ने कहा, 'आईडिया था कि फुल लेंथ की गेंद डाली जाए और इन स्विंग व आउट स्विंग के मिश्रण से उन्हें उलझाया जाए। जब भी वह आगे आ रहे थे तो बल्ले और पैड के बीच गैप आ रहा था और मेरी योजना उन्हें उलझाए रखने की थी। मेरी पूरी कोशिश थी कि गेंद को छोटी न रखा जाए ताकि उन्हें पुल और हुक शॉट खेलने का मौका मिले।'
पांडे ने दुर्भाग्यवश दूर जाती गेंद से छेड़छाड़ करके अपना विकेट गंवाया। कुमार ने कहा, 'हर बार जब भी मैं उन्हें बीट करता था तो कहता था शानदार गेंद डाली।'
टी20 क्रिकेट क्यों है पसंद
मुकेश कुमार को स्थानीय टी20 मैच खेलना पसंद है क्योंकि प्रत्येक मैच से उन्हें 400-500 रुपए मिलते हैं। 2011-12 में जब वह दूसरे डिवीजन वाले आईसीआई क्लब से जुड़े तो लीग के कई दिन वाले प्रारूप से बोर हो गए। कुछ मैचों में वह गए भी नहीं। इस पर कुमार ने कहा, 'मैंने यही सोचा कि उतना टाइम का क्रिकेट कौन खेलेगा। टी20 ही अच्छा है।'
जब विजन 2020 प्रोग्राम में उन्हें शामिल किया गया तो चीजें बदल गईं। उनके पिता ने उन्हें एक साल का समय दिया। अगर संतुष्टिदायक प्रगति न हुई तो मुकेश को क्रिकेट छोड़कर नौकरी की तलाश करना होती। इसे याद करते हुए मुकेश ने कहा, 'मैंने बहुत मेहनत की। एक साल में मुझे यह साबित करना था कि मेरा भविष्य क्रिकेट में है।' इस दौरान कुमार को दो शानदार सलाहें मिली, जिससे उनका करियर काफी आगे बढ़ा।
वो 2 सलाह जिसने बदल दिया करियर
पहली सलाह कालीघाट क्लब के माली (ग्राउंड्स स्टाफ) से मिली। मुकेश याद करते हैं, 'मैं पहले कालीघाट क्लब में खेलने के लिए गया था। वहां मुझे कहा, 'यहां पर शुरुआत करोगे तो पानी ही पिलाते रहोगे।' उसने मुझे छोटे क्लब से शुरुआत करने की सलाह दी।' दूसरी सलाह विजन 2020 प्रोग्राम के दौरान तेज गेंदबाजी सलाहकार पाकिस्तान के महान तेज गेंदबाज वकार यूनिस से मिली। कुमार ने बताया, 'कैंप में मैं अपनी लाइन के साथ निरंतर नहीं था। वकार यूनिस ने मुझे कहा कि स्टंप्स के पास से गेंद करो ताकि परेशानी दूर हो। इससे मुझे काफी मदद मिली।'
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