रिकी पोंटिंग ने 2011 वर्ल्‍ड कप में भारत से हारने के बाद छोड़ी थी कप्‍तानी, अब बयां किया अपना दर्द

Ricky Ponting on Australia's Captaincy: 2011 विश्‍व कप के क्‍वार्टरफाइनल में शिकस्‍त के बाद रिकी पोंटिंग ने ऑस्‍ट्रेलिया के कप्‍तान पद से इस्‍तीफा दे दिया था। उन्‍होंने बताया कि कप्‍तानी छोड़ने के बाद कैसा लगा।

ricky ponting with sachin tendulkar
रिकी पोंटिंग और सचिन तेंदुलकर 
मुख्य बातें
  • रिकी पोंटिंग ने 2011 विश्‍व कप के क्‍वार्टर फाइनल में भारत के खिलाफ हार के बाद कप्‍तानी छोड़ दी थी
  • पोंटिंग को ऑस्‍ट्रेलिया के सबसे सफलतम कप्‍तानों में से एक माना जाता है
  • पोंटिंग की कप्‍तानी में ऑस्‍ट्रेलिया ने लगातार दो बार क्रिकेट विश्‍व कप का खिताब जीता

सिडनी: रिकी पोंटिंग ने स्‍वीकार किया कि करीब 10 साल तक शानदार नेतृत्‍व करने के बाद ऑस्‍ट्रेलिया की कप्‍तानी छोड़ने से काफी दुखी हुए थे। 67.91 प्रतिशत जीत के अनुपात के साथ पोंटिंग को क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्‍तानों में से एक माना जाता है। उन्‍होंने 324 मैचों में ऑस्‍ट्रेलिया का नेतृत्‍व किया, जिसमें टीम ने 200 मैच जीते। 2002 में ऑस्‍ट्रेलियाई वनडे कप्‍तान बनने के दो साल बाद पोंटिंग 2004 में स्‍टीव वॉ के उत्‍तराधिकारी के रूप में राष्‍ट्रीय टेस्‍ट कप्‍तान भी बने।

पोंटिंग के नेतृत्‍व में ऑस्‍ट्रेलिया ने लगातार दो 2003 और 2007 विश्‍व कप खिताब जीते। मगर ऑस्‍ट्रेलिया को बुलंदियों पर पहुंचाने के बावजूद 2011 में पोंटिंग ने कप्‍तानी छोड़ने का फैसला किया और माइकल क्‍लार्क ने इस जिम्‍मेदारी को संभाला। पोंटिंग ने स्‍काइ स्‍पोर्ट्स से बातचीत में कहा, 'क्‍या इससे दुख हुआ? जी हां। कप्‍तानी छोड़ते समय बड़ा दुख हुआ। मुझे लगा कि एहसास हो चुका है कि वह ऑस्‍ट्रेलियाई क्रिकेट के लिए सही समय था। मैं अगले कप्‍तान को कुछ बड़े टूर्नामेंट के लिए पर्याप्‍त समय देना चाहता था। मैं भरोसा रखना चाहता था कि क्‍लार्क को सर्वश्रेष्‍ठ कप्‍तान बनने के लिए समय मिले। यह बहुत जल्‍दबाजी में हुआ क्‍योंकि एशेज सीरीज नजदीक थी। मुझे लगा कि कप्‍तानी से विदाई लेने का यह सही समय है और क्‍लार्क को हर मौका मिले।'

2011 की करारी हार

2011 विश्‍व कप के क्‍वार्टर फाइनल में भारत के हाथों हार के बाद रिकी पोंटिंग ने ऑस्‍ट्रेलियाई कप्‍तानी छोड़ दी थी। 19 साल में पहली बार चार बार की चैंपियन ऑस्‍ट्रेलिया 50 ओवर विश्‍व कप के अंतिम चार में जगह नहीं बना पाई थी। पोंटिंग ने 2012 तक खेलना जारी रखा और फिर अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

पंटर के नाम से मशहूर पोंटिंग ने कहा, 'मैंने विश्‍व कप क्‍वार्टर फाइनल में शतक जमाया और लगातार खेल रहा था। कुछ लोगों की बौंहे उठी थीं जब मैंने कहा कि खेलना जारी रखना चाहता हूं। मेरे खेल जारी रखने का प्रमुख कारण था क्‍योंकि उस समय कई युवा टीम में आए थे और मैं उनकी मदद करना चाहता था। मेरे लिए खेल में हासिल करने को कुछ रहा नहीं था, लेकिन मैं सिर्फ खेल से इसलिए जुड़ा हुआ था क्‍योंकि ऑस्‍ट्रेलिया क्रिकेट के लिए सर्वश्रेष्‍ठ होते देखना चाहता था।'

एशेज का दाग

पोंटिंग के नेतृत्‍व में ऑस्‍ट्रेलिया को इंग्‍लैंड के हाथों तीन एशेज सीरीज शिकस्‍त झेलनी पड़ी। पोंटिंग ने कहा कि 2009 और 2010-11 में लगातार एशेज गंवाना निराशाजनक था। 2005 की हार सबसे कड़वी थी, जिसे पचा पाना आसान नहीं। उन्‍होंने कहा, '2005 में सभी को हमसे उम्‍मीद थी कि इंग्‍लैंड का सूपड़ा साफ करेंगे और एशेज लेकर लौटेंगे। ऐसा नहीं हुआ। 2005 की हार मेरे लिए बर्दाश्‍त से बाहर है। 2010-11 में हम मुकाबले में कही टिके ही नहीं थे।'

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