National Reading Day 2021: आखिर किस तरह से शुरू हुई यह प्रथा, सीबीएसई की खास मुहिम

नेशनल रीडिंग मंथ के पीछे सीबीएसई की भावना को समझना जरूरी है। केरल में एक शख्स पैनिकर हुआ करते थे जिन्हें पुस्तकालयों को स्थापित करने की अभिलाषा तीव्र थी उनके सम्मान में नेशनल रीडिंग डे मनाया जाता है

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19 जून से नेशनल रीडिंग मंथ की शुुरुआत 
मुख्य बातें
  • पी एन पैनिकर के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन, लाइब्रेरी के लिए समर्पित की थी जिंदगी
  • केरल के गांव गांव में लाइब्रेरी बनाने में खास योगदान
  • नेशनल रीडिंग मंथ का आयोजन 8 जुलाई 2021 तक

सीबीएसई बोर्ड अपने स्कूलों में हर वर्ष की तरह नेशनल रीडिंग मंथ का आयोजन करती है। इस वर्ष इस मंथ को औपचारिक तौर पर आज यानी 19 जून, 2021 से शुरू किया जाएगा। सीबीएसई स्कूलों में रीडिंग डे, वीक और मंथ मनाया जाएगा। इस तरह को कोशिश के पीछे उद्देश्य यह है कि छात्रों की पढ़ाई की तरफ रुचि और बढ़े। सीबीएसई के निर्देश के मुताबिक शनिवार से स्कूलों में ऑनलाइन माध्यम से अलग अलग तरह की एक्टिविटी कराई जाएगी।  

किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यहारिक ज्ञान पर बल
छात्रों को किताबों के पढ़ने के ढंग के साथ साथ वो किस तरह से अपनी जिंदगी में पढ़ी हुई बातों को उतार सकते हैं उसके बारे में खास जानकारी दी जाती है। कोरोना से पैदा हुई हालात को देखते हुए डिजिटल लाइब्रेरी के महत्व को भी बताया जाएगा। अभियान 19 जून से लेकर 8 जुलाई, 2021 तक चलेगा। केरल में पुस्तकालय आंदोलन के जनक पीएन पैनिकर की पुण्यतिथि के लिए समर्पित है। 

पी एन पैनिकर के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन
पी एन पैनिकर का जन्म 1 मार्च, 1909 को हुआ था। वो एक शिक्षक थे और उनका काफी प्रभाव था। 1945 में उन्होंने  ग्रामीण  इलाके में पुस्तकालयों के साथ तिरुविथामकूर ग्रंथशाला संघम की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। एसोसिएशन का नारा था 'पढ़ो और बढ़ो'। केरल राज्य के गठन के बाद एसोसिएशन का नाम केरल ग्रंथशाला संघम हो गया।

लोगों को लाइब्रेरी के लिए किया था जागरुक
केरल के गांव-गांव में पैनिकर ने यात्रा की और लोगों को पढ़ने के फायदे के बारे में बताया। इस तरह उन्होंने अपने नेटवर्क में 6,000 से ज्यादा पुस्तकालयों को जोड़ने में कामयाबी हासिल की। 1975 में ग्रंथशाला को 'कृपसकय अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया था।इसके बाद से ही उनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता है। 

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