कोलकाता: अपने विवादित बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने शनिवार को एक बार फिर ऐसा विवादित बयान दिया है जिससे विवाद होना तय है। घोष ने दावा किया कि दिल्ली के शाहीन बाग में और कोलकाता के पार्क सर्कस में ‘अशिक्षित महिला एवं पुरूष’प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्हें विदेशी फंड से खरीदी गयी बिरयानी परोसी जाती है और पैसे दिये जाते हैं।
अशिक्षित महिला-पुरुष बैठे हैं धरने पर
बीजेपी की बैठक को संबोधित करते हुए दिलीप घोष ने कहा, ‘गरीब एवं अशिक्षित महिला और पुरूष सड़कों पर धरना देने के लिए बैठे हुए हैं । उन्हें बिरयानी खिलायी जा रही है जो विदेशों से आये से पैसे से खरीदी जा रही है।’चाहे वह दिल्ली का शाहीन बाग हो या कोलकाता का पार्क सर्कस, हर जगह एक ही स्थिति है। बृंदा करात एवं पी चिदंबरम जैसे लोग इस भीड़ में शामिल होते हैं कुछ अशिक्षित महिलायें अपने गोद में बच्चों को लेकर बैठी हैं । वे लोग केवल उनके श्रोता हैं।'
विपक्ष ने घोष को आड़े हाथों लिया
घोष के बयान के बाद विपक्षी दल उन पर हमलावर हैं। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस एवं विपक्षी माकपा ने दिलीप घोष को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि यह महिलाओं के प्रति उनकी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि जिन्हें हकीकत का पता नहीं है वो ऐसा बयान दे रहे हैं जो उनकी मानसिकता को दिखाता है। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भी घोष के बयान की आलोचना की है।
पहले भी दे चुके हैं शाहीन बाग पर विवादित बयान
यह पहली बार नहीं है जब दिलीप घोष ने शाहीन बाग को लेकर विवादित बयान दिया हो। कुछ समय पहले उन्होंने सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर कहा था, 'इतनी कड़ाके की ठंड में शाहीन बाग में महिलाएं और बच्चे खुले आसमान के नीचे महीनों से दिन रात प्रदर्शन कर रहे हैं उनमें से अभी तक कोई बीमार या फिर कोई मर क्यों नहीं रहा है, जबकि नोटबंदी के समय दो तीन घंटे लाइन में खड़े रहने में कई लोग मर गए थे।'
दिया था ये विवादित बयान
दिलीप घोष अक्सर अपने इसी तरह के विवादित बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। कुछ समय पहले सीएए का विरोध करने वालों पर उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा था, 'ममता बनर्जी की पुलिस ने सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के साथ क्या किया।उनकी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की क्योंकि वो उनके वोटर्स थे। लेकिन भाजपा शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक में इन लोगों को कुत्तों की तरह गोली मारी।'
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