Citizen Amendment Bill: आसान भाषा में जानें कैसे तय होती है भारत की नागरिकता, इन शर्तों को करना होता है पूरा

देश
शिवम पांडे
Updated Dec 10, 2019 | 08:47 IST

Citizenship Amendment Bill 2019: नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है ऐसे में सवाल है कि कौन भारत का नागरिक है। संविधान के मुताबिक कुछ शर्तों को पूरा कर आप नागरिक बन सकते हैं। जानिए क्या है शर्तें।

Amit Shah
Amit Shah 
मुख्य बातें
  • नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा से पारित
  • संविधान के अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता के बारे में बताया है।
  • भारतीय संविधान के मुताबिक भारत की नागरिकता दो तरीके से तय होती है।

नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया जो बहुमत से पारित भी हो गया। इस बिल का विपक्षी पार्टी पुरजोर विरोध कर रही हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेताओं का आरोप है कि यह बिल संविधान के समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14) का विरोध करता है। ऐसे में सवाल उठता है कि देश का नागरिक कौन है, संविधान में ये किस तरह से तय होता है। संविधान में नागरिकता के बारे में भाग दो के अनुच्छेद 5,6,7,8,9,10 और 11 में बताया गया है। 

भारतीय संविधान के मुताबिक भारत की नागरिकता दो तरीके से तय होती है। पहला-संविधान के लागू होने के दिन यानी 26 जनवरी 1950 से कौन- कौन भारतीय नागरिक थे। दूसरे  संसद से पारित हुए नागरिकता अधिनियम-1955 के जरिए ये तय होता है। 

संविधान के मुताबिक भारतीय नागरिकता को चार भागों में बांटा गया है। सबसे पहले जिसके पास स्थाई निवास है। दूसरा 26 जनवरी 1950 तक जो लोग पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए थे। तीसरा जिन लोगों ने 26 जनवरी 1950 तक पाकिस्तान में पलायन किया था। अगर कोई व्यक्ति विदेश में रहता है लेकिन वह भारतीय मूल का हो। 

आर्टिकल 5: संविधान के आर्टिकल 5 के मुताबिक जिसके पास भारत के किसी भी हिस्से का स्थाई निवास प्रमाणपत्र होगा वह इस देश का नागरिक होगा। दूसरा यदि आप इन तीन में से किसे एक शर्त को पूरा करते हैं तो आप भारत के नागरिक होंगे।

  • आपका जन्म भारत में हुआ है।
  • आपके माता-पिता में से किसी एक का जन्म भारत में हुआ है। 
  • यदि आप 26 जनवरी 1950 से पांच साल पहले यानी 1945 से भारत में रह रहे हैं। 

 

 

आर्टिकल 6: संविधान के अनुच्छेद छह उन लोगों की नागरिकता के बारे में बात करता है, जो पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए हैं। ऐसे लोगों को दो हिस्सों में बांटा गया है। पहला जो 19 जुलाई 1948 तक भारत आ चुके थे। दूसरे वे लोग जो 19 जुलाई 1948 के बाद भारत में आए हैं।

दरअसल इसी तारीख को भारत-पाक ने परमिट सिस्टम की शुरुआत की थी।अगर कोई व्यक्ति 19 जुलाई 1948 से पहले भारत आया है तो उसे भारत का नागरिक माना जाएगा। यदि वे दो शर्तों को पूरा करें-

  • यदि वह या उसके माता-पिता या फिर किसी पूर्वज का जन्म भारत में हुआ है। 
  • जब से उस व्यक्ति ने पाकिस्तान से पलायन किया है, तब से वह भारत में रह रहा है।     

 

जो लोग 19 जुलाई 1948 के बाद पाकिस्तान से भारत आए हैं तो उन्हें इन शर्तों को पूरा करना होगा। 

  • वह, उनके माता-पिता या किसी पूर्वज का जन्म भारत में हुआ है। 
  • यदि वह पलायन के बाद से लगभग 6 महीने तक भारत में ही रह रहे हैं। 
  • अगर अपनी नागरिकता के लिए उन्होंने किसी अधिकारी को रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लिकेशन दी है।
  • यदि उस अधिकारी ने उन्हें बतौर भारतीय नागरिक रजिस्टर कर लिया है।

आर्टिकल 7: नागिरकता के लिए संविधान का अनुच्छेद 7 सबसे अहम है। अनुच्छेद 7 का पहला भाग उन लोगों की नागरिकता पर बात करता है, जो 1 मार्च 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान पलायन कर गए हैं।

ये लोग भारत के नागरिक नहीं होंगे, भले ही वह अनुच्छेद 5 और 6 की सारी शर्तों को पूरा करते हैं। अनुच्छेद 7 का दूसरा भाग उन लोगों की नागरिकता तय करता है जो 1 मार्च 1947 के बाद भारत में पलायन कर आए हैं।  

आर्टिकल 8: ये उन लोगों की नागरिकता के बारे में बात करता है जो भारतीय मूल के हैं और दूसरे देश में रह रहे हैं। ऐसे में उन्हें भारत की नागरिकता के लिए दो शर्तों को पूरा करना होगा।

  • पहला उनके पेरेंट्स या पूर्वज का जन्म अविभाजित भारत में हुआ है। 
  • दूसरा वह जिस भी मुल्क में रह रहा है, उस देश के भारतीय राजनयिक या काउंसलर रिप्रेजेंटेटिव ऑफ इंडिया ने उसे भारत का नागरिक रजिस्टर किया है। 

आपको बता दें कि इसमें पाकिस्तान को शामिल नहीं किया गया है।

आर्टिकल 9: संविधान का अनुच्छेद 9 कहता है कि कोई भी व्यक्ति जिसने 26 जनवरी 1950 से पहले किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर ली है। वो अनुच्छेद 5,6 और 8 के तहत भारत का नागरिक नहीं हो सकता है।   

आर्टिकल 10: इस अनुच्छेद के मुताबिक यदि आपने ऊपर बताए किसी भी अनुच्छेद के तहत भारत की नागरिकता हासिल कर ली है। ये नागरिकता संसद के द्वारा पारित कानून के आधार पर ही होगी। दूसरे शब्दों में संसद में कानून लाकर नागरिकता को रद्द किया जा सकता है।

 

आर्टिकल 11:  संविधान के 11वें अनुच्छेद के मुताबिक संसद के पास ये शक्ति है कि वह 26 जनवरी 1950 के बाद से संसद में नागरिकता को लेकर कानून बना सकती है। इसके अलावा अनुच्छेद पांच से लेकर 8 तक में भी संशोधन कर सकती है। 

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