नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले के बाद लगातार दूसरे दिन संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। बैठक के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यह एक अच्छा कदम (तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना) था, हम इसका स्वागत करते हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है।
उन्होंने कहा कि हम पीएम को ओपन लेटर लिखेंगे। इसमें लंबित मांगों का उल्लेख किया जाएगा, जैसे- MSP समिति, उसके अधिकार, उसकी समय सीमा, उसके कर्तव्य; विद्युत विधेयक 2020, मामलों की वापसी। हम उन्हें लखमीपुर खीरी पर मंत्री (अजय मिश्रा टेनी) को बर्खास्त करने के लिए भी लिखेंगे।
सिंघू बॉर्डर पर मौजूद राजेवाल ने कहा कि हमने कृषि कानूनों को निरस्त करने पर चर्चा की। इसके बाद कुछ निर्णय लिए गए। एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम यथावत जारी रहेंगे- 22 को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 को सभी सीमाओं पर सभा और 29 को संसद तक मार्च। आगे के घटनाक्रम पर निर्णय के लिए 27 नवंबर को SKM की एक और बैठक होगी। तब तक की स्थिति के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
इससे पहले शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उसके पहले से निर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे। इसके साथ ही मोर्चा ने किसानों से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वर्षगांठ पर 26 नवंबर को सभी प्रदर्शन स्थलों पर बड़ी संख्या में एकत्र होने का आग्रह किया। मोर्चा ने कहा कि किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हुए और भारत सरकार ने उनके बलिदान को स्वीकार तक नहीं किया। इन शहीदों के परिवारों को मुआवजे और रोजगार के अवसरों के साथ समर्थन दिया जाना चाहिए। ये शहीद संसद सत्र में श्रद्धांजलि के हकदार हैं और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर हजारों किसानों को फंसाने के लिए दर्ज मामले बिना शर्त वापस लिए जाने चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे।
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