NRC और CAB के कारण किसी भी नागरिक को शरणार्थी नहीं बनने देंगे : ममता

देश
किशोर जोशी
Updated Dec 09, 2019 | 16:30 IST

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पेश किया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह किसी को भी शरणार्थी नहीं बनने देंगी।

Mamata Banerjee says NRC and CAB Will Never be Allowed in Bengal Till TMC is in Power
NRC और CAB के कारण किसी भी नागरिक को शरणार्थी नहीं बनने देंगे : ममता  |  तस्वीर साभार: BCCL

खड़गपुर: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और नागरिकता (संशोधन) विधेयक (कैब) का विरोध करने के लिए विपक्षी दलों का आह्वान करते हुए कहा कि देश के एक भी नागरिक को शरणार्थी नहीं बनने दिया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सत्ता में रहते बंगाल में कभी एनआरसी और कैब की इजाजत नहीं दिए जाने का आश्वासन देते हुए बनर्जी ने इन्हें एक ही सिक्के के दो पहलू बताया।

बनर्जी ने खड़गपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, 'एनआरसी और कैब को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। हम बंगाल में कभी इसकी इजाजत नहीं देंगे। वे किसी वैध नागरिक को यूं ही देश से बाहर नहीं फेंक सकते या उसे शरणार्थी नहीं बना सकते।' इस रैली का आयोजन उपचुनावों में हाल में पार्टी को मिली जीत को लेकर किया गया था।

लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया। लोकसभा में विधेयक को पेश किये जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को संविधान के मूल भावना एवं अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की।

गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस, आईयूएमएल, एआईएमआईएम, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया।

शाह ने सदन में यह भी कहा ‘अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती। नागरिकता अधिनियम, 1955 का एक और संशोधन करने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।'

 

 


 

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