Omicron In India:ओमीक्रॉन का खतरा बढ़ा, तीसरी लहर का अंदेशा, जानें क्या है तैयारी

Omicron Cases In India: भारत में ओमीक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित होने वालों की संख्या 350 के आंकड़े को पार कर चुकी है। इस बीच तीसरी लहर का अंदेशा एक्सपर्ट ने जताया है। ऐसे में सरकार क्या तैयार है, यही सबसे बड़ा सवाल है।

Omicron Cases Detected In India
ओमीक्रॉन ने तीसरी लहर की बढ़ाई चिंता  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने भारत में बड़ी तबाही मचाई थी।
  • ओमीक्रॉन वैरिएंट की वजह से तीसरी लहर आने की आशंका बढ़ गई है।
  • देश में अब तक 140 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा चुकी है।दस

नई दिल्ली: देश में ओमीक्रॉन से संक्रमित होने वाले लोगों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। और अब तक 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैल चुका है। और सोमवार सुबह तक 358 मामले सामने आए हैं। इस बीच बढ़ते मामले को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से अपील की है कि चुनावों को टाल दें। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के साथ बैठक भी की है। जिसके बाद कई बाद कई राज्यों में फिर से पाबंदियां शुरू हो गई। परेशानी की बात यह है कि एक्सपर्ट जनवरी-फरवरी में तीसरी लहर का अंदेशा जता रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस बार हम तीसरी लहर के लिए तैयार हैं? क्या हमारे पास ऑक्सीजन की उपलब्धता पर्याप्त है, क्या आईसीयू बेड पर्याप्त मात्रा में हैं। क्योंकि इन्ही कमियों की वजह से दूसरी लहर के दौरान पूरे देश ने त्रासदी झेली थीं।

कितने तैयार हैं हम

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में 18,10,083 आइसोलेशन बेड, 4,94,314 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड, 1,39,300 आईसीयू बेड, 24,057 पीडियाट्रिक आईसीयू बेड और 64,796 पीडियाट्रिक नॉन-आईसीयू बेड तैयार हैं। इस बीच सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को कहा गया है कि वे दूसरी लहर की पीक के दौरान मिले केसेज से 1.25 गुना ज्यादा केसेज को ध्यान में रखकर तैयारी करें। 

दूसरी लहर की पीक के दौरान भारत में एक दिन में 4 लाख से ज्यादा केसेज मिले थे। ऐसे में उन्हें 5 लाख केस के आधार पर तैयारी करने को कहा गया है। साथ ही तीसरी लहर के दौरान कुल मरीजों में से करीब 20 फीसदी से ज्यादा लोगों को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत पड़ सकती है। राज्य सरकारें इसी हिसाब से तैयारी करें। इसी तरह ऑक्सीजन प्लांट को लेकर जुलाई 2021 में सरकार ने कहा था कि  दूसरी लहर के दौरान पीक दौर में हर दिन 9 हजार टन ऑक्सीजन की जरूरत थी। दूसरी लहर के बाद सरकार ने देशभर में 3,631 PSA प्लांट लगाने को अप्रूवल दिया था। सरकार ने देश में डेली ऑक्सीजन प्रोडक्शन का टारगेट 15 हजार टन रखा है।

वैक्सीनेशन की क्या है स्थिति

कोरोना  के खिलाफ लड़ाई में अभी तक सबसे मजबूत हथियार वैक्सीन को ही माना जा रहा है। इसके लिए दुनिया के कई देशों ने बूस्टर डोज लगाना शुरू कर दिया है। ऐसे में भारत में बूस्टर डोज की क्या तैयारी है, इस पर शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि  सरकार का रुख स्पष्ट है कि बूस्टर डोज पर निर्णय वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर लिया जाएगा। 

स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार देश में अब तक 140 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज लग चुकी है। इसके तहत देश की 89 फीसदी आबादी को पहली डोज लगाई जा चुकी है। जबकि दूसरी डोज 61 फीसदी योग्य आबादी को लगाई जा चुकी है।

फिर से 5 राज्यों में है चुनाव

जब दूसरी लहर आई थी तो उस समय पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में मई 2021 में हुए चुनावों होने वाले थे। और रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही थी। और परिणाम सबके सामने था, देश ने जैसी त्रासदी देखी थी, वैसा आजादी के बाद से नहीं देखा गया था। लोग ऑक्सीजन के लिए सड़कों पर तड़प रहे थे। अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे। ऐसे में  एक बार फिर 5 राज्यों में चुनाव हैं।अगले दो से तीन महीने में उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में चुनाव होंगे। इसे देखते हुए इलाहाबाद कोर्ट ने यूपी चुनावों को टालने की अपील की है।

ओमीक्रॉन कितना खतरनाक

वैसे तो कोरोना का ओमीक्रॉन वैरिएंट दुनिया 90 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। लेकिन हाल ही में ब्रिटेन की दो स्टडी थोड़ी राहत देती हैं। उनके अनुसार डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमीक्रॉन वैरिएंट कम खतरनाक है। स्कॉटलैंड में जारी हुए रिसर्च पेपर के अनुसार नवंबर और दिसंबर में दर्ज कोविड मामलों के विश्लेषण से पता चलता है कि डेल्टा की तुलना में ओमीकॉन से अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में दो-तिहाई की कमी आई है। वहीं इंपीरियल कॉलेज लंदन की स्टडी में यह बात सामने आई है कि डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमीक्रॉन की वजह से अस्पताल आने वालों के मामले 20-25 फीसदी कम है। जबकि अस्पताल में भर्ती होने के मामले 40-45 फीसदी कम है। वहीं भारत में भी करीब 40 फीसदी लोग तेजी से रिकवर हो गए हैं।

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