नेपाल बॉर्डर पर 'मुस्लिमों की आबादी' क्यों बढ़ रही है? देखिए, देश को सावधान करने वाली 'पड़ताल'-Video

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मनीष यादव
मनीष यादव | PRINCIPAL CORRESPONDENT
Updated Aug 21, 2022 | 17:03 IST

नेपाल बॉर्डर से सटे यूपी के जिलों में डेमोग्राफिक बदलाव देश की सुरक्षा के लिए चिंता पैदा कर रहा है। खुफिया एजेंसियों ने यूपी के पीलीभीत लखीमपुर बहराइच बलरामपुर और महाराजगंज के बोर्डर से सटे गांवों में बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर चिंता जताई है।

Muslim population on Nepal border
सुरक्षा एजेंसियां इस बदलाव को सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील मानकर चल रही हैं 

खुफिया एजेंसियां मानकर चल रही है कि जंगल में अवैध रूप से बढ़ रही मुस्लिम आबादी घुसपैठ का नया डिजाइन हो सकती है ऐसे में बॉर्डर पर तैनात फोर्सेज के सर्विलांस का दायरा बढ़ाया जाना जरूरी है । बहराइच और लखीमपुर के जंगलों से सटे नेपाल बॉर्डर पर जाकर 'टाइम्स नाउ नवभारत' के संवददाता 'मनीष यादव' ने एक  रिपोर्ट तैयार की । इस रिपोर्ट के बाद ग्रह मंत्रालय ने भी डेमोग्राफिक बदलाव पर चिंता जाहिर की हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों के साथ बैठक कर इस मामले की जांच करने को कहा है ।

यूपी के लखीमपुर जिले में दुधवा जंगलों का इलाका जिले को नेपाल से अलग करता है । सुनसान और बियाबान जंगलों में अब ऐसी एक्टिविटी चल रही है जिससे सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए है दरअसल बॉर्डर से सटे आदिवासी बहुल इलाकों में बाहर से आए मुस्लिम लोग तेजी से बसते जा रहे है।

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जंगल की जमीन पर केवल आदिवासियों का ही पट्टा हो सकता है लेकिन रामगढ़ और बुध पुरवा गांवों में अवैध रूप से इन लोगो ने अपने पक्के घर बना लिए है । यहां तक कि ये लोग पंचायत चुनावों में अपने वोट भी डालते है। 

'हर 5 साल पर बड़ी संख्या में नए वोटर यहां बन रहे हैं'

अगर दो पंचवर्षीय योजना के बीच का दायरा देखे तो हर 5 साल पर बड़ी संख्या में नए वोटर यहां बन रहे है ।  यहां के रहने वाले लोगो ने बताया कि ये बरेली और आसपास के इलाको से आकर यहां बसे है। इन गांव वालो का लगभग हर रोज नेपाल आना जाना होता है । इस इलाके में पक्की मस्जिद और ईदगाह भी बना ली गई है।

लेकिन शहरी इलाकों से आकर जंगलों के बीच जहा बुनियादी सुविधाओं का भी टोटा है ऐसी जगह पर घर बनाकर रहने का कोई वाजिब आधार इनके पास नही है । Vhp नेता संजय मिश्रा बताते है कि उन्होंने ग्रह मंत्रालय को पत्र लिखकर अवैध रूप से बॉर्डर इलाको में हो रही बसावट की जांच कराने की मांग की थी संजय मिश्रा इस कवायद को गैर कानूनी गतिविधियों का हिस्सा बताते हुए कहते है कि बॉर्डर के इलाको में ये लोग अवैध शस्त्र और नशे के कारोबार से जुड़े हुए है । 

'मदरसे और मस्जिदों को संख्या में तकरीबन 25 फीसदी इजाफा' 

सूत्रों की माने तो रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि यूपी के पास बॉर्डर इलाकों में लगभग 1000 से ज्यादा गांव है इनमें 116 गांव में मुस्लिमों की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है ।  कुल 303 गांव ऐसे हैं जहां मुस्लिमों की आबादी 30 से 50 फीसदी के बीच है।

अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2022 तक मदरसे और मस्जिदों को संख्या में तकरीबन 25 फीसदी इजाफा हुआ है 2018 में सीमावर्ती इलाकों में 1349 मस्जिद और मदरसे थे जो अब बढ़कर 1688 हो गये हैं इंटेलिजेंस रिपोर्ट के बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग भी सक्रिय हो गया है लखीमपुर में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से 2018 के बाद से बढ़े मस्जिद और मदरसो  की संख्या की रिपोर्ट मांगी गई हैं।

'सुरक्षा एजेंसियां इस बदलाव को सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील मानकर चल रही हैं'

सुरक्षा एजेंसियां इस बदलाव को सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील मानकर चल रही है इसलिए बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ और एसएससबी का जांच का दायरा 50 किलोमीटर से बढ़ाकर 100 किलोमीटर करने का प्रस्ताव है । जिससे बीएसएफ को 100 किलोमीटर पीछे तक जांच और तलाशी करने का अधिकार होगा । गोरखपुर रेंज के एडीजी बताते है कि चूंकि मामला सुरक्षा से जुड़ा है ऐसे में बहुत ज्यादा जानकारी साझा नही की जा सकती लेकिन कई पैरामीटर पर सुरक्षा कारणों से रिपोर्ट तैयार की जाती है ।

लखीमपुर खीरी महाराजगंज बलरामपुर और बहराइच में मुस्लिमों की आबादी 2011 के राष्ट्रीय औसत अनुमान के मुकाबले 20 फीसद से ज्यादा बढ़ी है । यूपी पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है पता लगाना है कि जो लोग पंचायत के रिकॉर्ड में नए दर्ज हुए हैं उन में कितने वैध है कितने अवैध हैं।
लखीमपुर के साथ ही मैने बहराइच जाकर भी इस पूरे मामले की पड़ताल की । दरअसल बहराइच जिले का रूपैडीहा गांव नेपाल सीमा से सटा हुआ है। सड़क पार नेपाल का नेपालगंज शहर है और सड़क के इस ओर रूपैडीहा गांव ।

'रूपैडीहा बॉर्डर पर कॉमर्शियल एक्टिविटी भी बड़े पैमाने पर होती है'

रूपैडीहा बॉर्डर पर कॉमर्शियल एक्टिविटी भी बड़े पैमाने पर होती है । नेपाल को जरूरत का सामान इसी बॉर्डर से भेजा जाता है । कहने को ये भले गांव है लेकिन शहर की तरह बड़ी बड़ी दुकानें इस बॉर्डर से सटे गांव में है । यहां की अधिकांश आबादी मुस्लिम है जो बीते 10 सालो में तेजी से बढ़ी है । इस गांव के प्रधान से बात की तो पता चला बीते 5 सालो में करीब 4 से 5 हजार वोट नए बढ़ गए है । पहले जो संख्या 13 हजार के आसपास थी अब वो 17 हजार तक पहुंच गई है । जब इस इलाके में इस पैमाने पर आबादी के बढ़ने की वजह जानने की कोशिश की तो गांव के लोगो ने बताया कि बॉर्डर का ये गांव बड़ा बाजार है और नेपाल के लोग यहां खरीददारी करने आते है और कारोबारी लिहाज से लोग इसे मुफीद समझते है इसलिए अपना ठिकाना यहां बना लेते है और आबादी बड़ी है तो मस्जिद और मदरसे उसी अनुपात में बढ़े है।

'इन इलाकों से होती तस्करी भी बाहर के लोगो को यहां खीच लाती है'

बॉर्डर से सटे इन गांवों में आबादी बढ़ने का एक कारण कारोबार तो है ही इसके अलावा इन इलाकों से होती तस्करी भी बाहर के लोगो को यहां खीच लाती है ।खासतौर पर मादक पदार्थ और यूरिया गेंहू जैसी कई चीजों की तस्करी इन इलाको से होती है । नशे का तो बड़ा कारोबार बॉर्डर के जरिए हो रहा है जिसमे मुस्लिम युवक बड़े पैमाने पर जुड़े है । गांव के प्रधान और गांव के कई लोगो ने बताया कि नशे का कारोबार बीते दो सालो में यहां तेजी से फैला है और आर्थिक रूप से कमजोर लोग जुड़े हुए है । लेकिन रसूखदारों के सहयोग से ये धंधा फल फूल रहा है ।और इस कारोबार के लालच में बाहर से लोग आकर यहां बस रहे है ये लोग इसी गांव के पते पर अपना आधार और बाकी चीजे बनवा लेते है । रूपैडीहा बॉर्डर पर एसएसबी के जवान मुस्तैद रहते है लेकिन बॉर्डर के दाएं और बाएं तरफ के इलाको में कोई सुरक्षा नहीं रहती और तस्कर सामान लाने ले जाने के लिए यही रास्ता इस्तेमाल करते है। 

'यूपी में आतंकियों के लिए नेपाल का रास्ता एकदम सुरक्षित रहा है'

मुस्लिम आबादी केवल बॉर्डर के इस तरफ ही नही बढ़ी है बल्कि बॉर्डर के उस पार भी तेजी से आबादी बढ़ी है बॉर्डर के उस पर भी मस्जिद और मदरसो का निर्माण हुआ है । नशे के कारोबार में दोनो तरफ के लोगो की भूमिका है । यूपी में आतंकियों के लिए नेपाल का रास्ता एकदम सुरक्षित रहा है कमलेश तिवारी हत्याकांड से लेकर जैश ए मोहम्मद के आतंकियों के नेपाल लिंक सामने आते रहे है नकली नोट का कारोबार और टेरर फंडिंग का नाता भी नेपाल से बॉर्डर से जुड़ चुका है ऐसे में अब तस्करी और नशे के कारोबार ने नई चिंताओं को जन्म दिया है क्योंकि देश विरोधी ताकतों के लिए नशे के कारोबार और नशे की चपेट में आने वाले दोनो लोग सरल जरिया हो सकते है ....इंटेलिजेंस रिपोर्ट में इसका हवाला देकर चिंताएं जाहिर की गई है ।

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