चेहरे पर पिंपल और फुंसियों से लगभग हर कोई परेशान रहता है। इससे छुटकारा पाने के लिए एलोपैथिक दवाईयों से लेकर घरेलू नुस्खों तक का खूब इस्तेमाल किया जाता है। किसी-किसी को ये अंदरुनी बीमारियों की वजह से होते हैं तो किसी-किसी के साथ अनुवांशिकी होता है। अलग-अलग प्रकार के फेस पैक और अलग-अलग प्रकार के फेस क्रीम का इस्तेमाल से भी स्किन के खराब होने का खतरा बना रहता है।
पिंपल और फुंसियों का सबसे बड़ा कारण होता है ऑइली स्किन। ऑइली स्किन के कारण चेहेरे पर धूल डस्ट गंदगी आसानी से चिपक जाते हैं जो अंदर तक बुरा प्रभाव डालते हैं। इसलिए अगर चेहरे पर से पिंपल को हटाने हैं तो सबसे पहले ऑइली स्किन को सही करना पड़ता है। प्राणायाम से लेकर मत्स्यासन, भुजंगासन और चक्रासन तक कई ऐसे योगा स्टाइल हैं जो पिपंल को ठीक करने में मददगार साबित होते हैं।
प्राण का मतलब होता है सांस और आयाम का मतलब होता है मुद्रा। अपनी सांसों पर कंट्रोल रखने की प्रक्रिया को प्राणायाम कहते हैं। वैज्ञानिक शोध में भी ये कहा गया है कि प्राणायाम से तनाव कम होता है साथ ही पिपंल से जुड़ी समस्या भी खत्म होती है।
इस योग स्टाइल में शरीर को मछली के पोज में लाना होता है। इसमें फर्श पर पहले सीधा लेट जाएं। अब गर्दन से लेकर कमर तक के हिस्से को जमीन से ऊपर उठाएं। अपनी गर्दन को स्ट्रेच करें और सिर के क्राउन पार्ट को जमीन से टच करें और आसन की मुद्रा में आ जाएं। इससे आपका दिमाग और बॉडी दोनों रिलैक्स होता है।
इस आसन के जरिए बॉडी डिटॉक्स होता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही हो जाता है। इसके लिए सबसे पहले फर्श पर सीधा लेट जाएं। अब दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं दोनों पैरों को आसमान की तरफ उठाएं। अब अपने दोनों हिप्स को हाथों से पकड़ते हुए उसे आगे की तरफ पुश करें ताकि आपकी छाती आपकी ठुड्डी तक आ जाए। इस मुद्रा में 10 से 15 सेकेंड तक रहें। अब धीरे-धीरे वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
इस आसन में शरीर फन उठाए हुए सांप के आकार में बनती है। इस आसन को करते वक्त तुरंत पीछे की तरफ अधिक न झुकें। रोजाना इस आसन को करने से शरीर में उर्जा बढ़ता है और तनाव जैसी समस्या दूर हो जाती है।
पैरों को जोड़कर सीधे खड़े होना होता है। सांस अंदर लेने के बाद हथेलियां एक दूसरे के सामने रखते हैं। हाथों को जमीन के सामांतर करते हैं। हाथों और कंधों की दूरी एक समान रखनी होती है। सांस छोड़े और कमर दाहिनी ओर घुमाएं। बाएं कंधे से पीछे की ओर देखें। सांस लेते हुए फिर दोबारा सामने की तरफ घुमना होता है। इस आसन को कुछ समय तक दोनों तरफ करना होता है। शरीर को झटके के साथ नहीं हिलाना होता है। सांस और गति के बीच तालमेल रखे जाने पर इस योग का लाभ अधिक होता है।
योग मैट पर पीठ के बल लेटना होता है। अपने हाथों को शरीर इस प्रकार सटाएं कि हथेलियां जमीन की ओर रहेंगी। सांस भीतर की ओर खींचे और पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। टांगे कमर से 90 डिग्री का कोण बनाएंगी। टांगों को ऊपर उठाए और अपने हाथों से कमर को सहारा दें। सीधी टांगों को सिर की तरफ झुकाएं और पैरों को सिर के पीछे ले जाएं। पैरों के अंगूठे से जमीन को छुएंगे। हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रख लें। हथेली नीचे की तरफ रहेगी। कमर जमीन के समानांतर रहेगी। इसी स्थिति में एक मिनट तक बने रहें सांसों पर ध्यान केंद्रित करें सांस छोड़ते हुए, टांगों को वापस जमीन पर ले आएं। आसन को छोड़ते हुए जल्दबाजी न करें। टांगों को एक समान गति से ही सामान्य स्थिति में वापस लेकर आएं।