Hanuman Jayanti 2022 Aarti & Puja Mantra: 'आरती कीजै हनुमान लला की' आज पढ़ें ये आरती, देखें हनुमान जी के मंत्र

Hanuman Jayanti 2022 Aarti & Mantra, Hanuman Ji Ki Aarti, Aarti Kije Hanuman Lala Ki Aarti Lyrics In Hindi: हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं। यदि आप हनुमान जयंती का व्रत करते हैं, तो इस आर्टिकल में आप हनुमान जी की आरती और मंत्र देखकर पढ़ सकते हैं। 

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Hanuman Jayanti 2022 (Pic: iStock) 
मुख्य बातें
  • हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से भी पुकारा जाता है
  • बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं
  • यहां आप हनुमान जी की आरती और मंत्र देखकर पढ़ सकते हैं 

Hanuman Jayanti 2022 Aarti & Mantra, Hanuman Ji Ki Aarti, Aarti Kije Hanuman Lala Ki Aarti Lyrics In Hindi: आज चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि है, इस दिन राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था। आज पूरे भारत में हनुमान जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। श्री हनुमान हमेशा अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। इसी वजह से उन्हें संकटमोचन का नाम भी दिया गया है। हनुमान जी की पूजा-अर्चना रोज करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। आपको बता दें तुलसीदास हनुमान जी की वजह से ही श्री राम के दर्शन कर पाए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो प्रतिदिन भक्ति पूर्वक हनुमान की आरती और मंत्र पढ़ता है, हनुमान जी की उसकी सदैव रक्षा करते हैं। उसे कोई भी संकट छू नहीं पाता है। यदि आप भगवान हनुमान का आशीर्वाद पानी चाहते हैं, तो हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की आरती और मंत्र जरूर पढ़ें।

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हनुमान जी के मंत्र (Hanuman Ji Ke Mantra)

ॐ मनोजवं मारुततुल्य वेगम् जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं वातात्मजं वानर युथमुख्यं श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये

ॐ नमो हनुमते उर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय रुं रुं रुं रुं रुं रूद्रमूर्तये प्रयोजन निर्वाहकाय स्वाहा

अंजनी गर्भसम्भूताय कपीन्द्र सचिवोत्तम रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमान रक्ष रक्ष सर्वदा

ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पंचवदनाय दक्षिण मुखे. कराल बदनाय नारसिंहाय सकल भूत प्रेत दमनाय. रामदूताय स्वाहा.

ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः

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श्री हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti Hindi Mein)

आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपै।
रोग दोष जाके निकट न झांपै।। 

अंजनी पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रेम सदा सहाई।।

दे बीरा रघुनाथ पठाये।
लंका जारि सिया सुधि लाये।।

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लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई।।

लंक जारि असुर संहारे।
सिया रामजी के काज संवारे।।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि सजीवन प्रान उबारे।।

पैठि पताल तोरि जम कारे।
अहिरावन की भुजा उखारे।।

बायें भुजा असुर दल मारे।
दहिने भुजा सन्तजन तारे।।

सुर नर मुनि आरती उतारे।
जै जै जै हनुमान उचारे।।

कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई।।

जो हनुमान जी की आरती गावै।
बसि बैकुंठ परम पद पावै।।

लंक विध्वंस किये रघुराई।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।।

आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

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