Navratri 2022 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Timings, Samagri, Mantra: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 2 अप्रैल 2022 के दिन है। यानी इस दिन से मां दुर्गा की पूजा-आराधना के 9 दिन नवरात्रि का पावन पर्व प्रारंभ हो रहा है। इन 9 दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार विधि अनुसार और शुभ मुहूर्त पर देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं इसके साथ उन्हें सुख, समृद्धि, यश, वैभव, ज्ञान और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना के साथ होती है। इस दिन विधि अनुसार घट स्थापित किया जाता है और देवी दुर्गा के साथ उनके पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यहां जानें नवरात्रि की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
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नवरात्र पर बन रहे हैं यह शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2022 Shubh Muhurat)
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:03 से 8:31 तक
अभिजीत मुहूर्त: 12:13 am से 12:51 pm तक
विजय मुहूर्त: 02:29 pm से 03:17 pm तक
गोधुली मुहूर्त: 05:54 pm से 06:28 pm तक
ब्रह्म मुहूर्त: 04:38 am से 05:24 am तक
अमृत काल: 08:53 am से 10:32 am तक
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चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कैसे करें पूजा? (Chaitra Navratri 2022 Puja Vidhi)
धर्म शास्त्रों के अनुसार, सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान कर लें। नवरात्रि के पहले दिन भक्तों को अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाना चाहिए और आम के पत्ते का तोरण करना चाहिए। इसके बाद लकड़ी की चौकी या आसन पर मां दुर्गा की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। उनके आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं फिर रोली और अक्षत से टीका करने के बाद वहां मूर्ति की स्थापना कर दें। फिर पूरे विधि अनुसार मां दुर्गा की पूजा करें। इसके बाद उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में कलश स्थापना करें। अगर आप लंबे समय से किसी एक स्थान पर कलश स्थापित करे आएं हैं तो उसी दिशा में अपना कलश रखें। कलश स्थापित करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख हमेशा ऊपर की तरफ हो।
नारियल का मुख नीचे की ओर होने से शत्रुओं की वृद्धि होती है और रोग बढ़ता है। इसके साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि नारियल का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार कलश पर रखे हुए नारियल का मुख हमेशा पूजा करने वाले व्यक्ति की ओर होना चाहिए। कहा जाता है कि पूजा के दौरान नारियल की दिशा का ध्यान रखने से कलश स्थापना का उद्देश्य भी सफल होता है।
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