Sheetla Ashtami 2022 Vrat And Puja Vidhi: ऐसे करें शीतला अष्टमी का व्रत व पूजन, आरोग्य जीवन का मिलेगा वरदान

Sheetla Ashtmai 2022 Vrat Aur Pujan Vidhi (शीतला अष्टमी 2022): इस बार शीतला अष्टमी के व्रत को लेकर लोग असमंजस की स्थिति में हैं, आपको बता दें शीतला अष्टमी 25 मार्च 2022, शुक्रवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत कर शीतला माता की पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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Sheetla Ashtami 2022 
मुख्य बातें
  • शीतला अष्टमी 25 मार्च 2022, शुक्रवार को है।
  • शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला की पूजा का विधान है।
  • शीतला माता को कहा जाता है आरोग्य की देवी।

Sheetla Ashtami 2022 Date, Timing, Vrat And Puja Vidhi (शीतला अष्टमी 2022): शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला की पूजा का विधान है। हालांकि इस बार शीतला अष्टमी के व्रत को लेकर लोग असमंजस की स्थिति में हैं, आपको बता दें शीतला अष्टमी 25 मार्च 2022, शुक्रवार को है। अष्टमी तिथि दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से शुरू होकर रात 10 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। पौराणिक ग्रंथों में शीतला माता को आरोग्य की देवी कहा गया है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार श्रष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने शीतला माता को श्रष्टि को आरोग्य रखने की जिम्मेदारी दी है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला अष्टमी के दिन व्रत कर शीतला माता की पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। तथा चेचक, खसरा व नेत्र विकार जैसी समस्याएं खत्म होती हैं। माता को ठंडा यानी शीतल भोजन अत्यंत प्रिय है, यही कारण है कि माता का भोग एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को तैयार कर लिया जाता है। ध्यान रहे विधिवत व्रत ना करने से व्रत का पूरा लाभ नहीं मिलता। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं शीतला अष्टमी व्रत विधि।

Sheetla Ashtami Vrat Vidhi, शीतला अष्टमी व्रत विधि

1. शीतला अष्टमी का व्रत केवल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी या अष्टमी को होता है।

2. इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है, यदि संभव ना हो तो सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगा जल की कुछ बूंद डालकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

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3. माता की पूजा के लिए दो थाली सजाएं, एक थाली में पूड़ी हलवा, दही, रबड़ी, नमकपारे और मीठे चावल रखें। साथ ही दूसरी थाली में आंटे का दीपक, चंदन, रोली, पैसे और एक लोटा ठंडा पानी रखें।

4. इसके बाद घर के पूजा स्थल पर लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माता की प्रतिमा स्थापित करें। तथा माता का श्रंगार करें।

5. अब माता के मंत्रों का जाप करें व शीतला स्तोत्र का पाठ करें और शीतला अष्टमी की कथा सुनें।

6. इसके बाद सप्तमी तिथि को बनाए हुए भोजन का माता को भोग लगाएं और आरती करें।

ध्यान रहे परिवार के सदस्यों को शीतला अष्टमी से एक दिन पहले सात्विक भोजन ग्रहंण करना चाहिए। तथा इस दिन किसी भी प्रकार के गर्म पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।

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