Mangal Dosh: क्या है मांगलिक दोष, जानें इसके नुकसान और इसे दूर करने के उपाय

Mangal Dosh: मंगल दोष का कंडली में होना किसी भी व्यक्ति के जीवन में भारी नुकसान ला सकता है। इसे दूर करने के शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर आप भी अपनी कुंडली से मंगल दोष को दूर कर सकते हैं।

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Mangal Dosh 
मुख्य बातें
  • मंगल दोष वैवाहिक जीवन में कष्ट लाता है।
  • इन उपायों को अपनाकर मंगल दोष दूर किए जा सकते हैं।
  • मंगल दोष को दूर करने के शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं।

Mangal Dosh: आपने अक्सर ज्योतिषियों को कहते सुना होगा कि लड़का व लड़की मंगली है। इनका मंगल तेज है। मंगली लड़के की शादी कुंडली मिलान के बाद मंगली लड़के से ही होगी। सर्वप्रथम मांगलिक दोष किसे कहते हैं यह होता क्या है। इस बात पर हम आज आपका ध्यान आकर्षित करेंगे। और बताएंगे इस दोष के विषय मे सामान्यतः किसी भी मनुष्य की जन्मपत्रिका में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में मंगल का स्थित होना मांगलिक दोष कहलाता है। शास्त्रोक्त भी यह मान्यता है कि मांगलिक दोष वाले लड़के अथवा लड़की का विवाह किसी मांगलिक दोष वाले से ही होना आवश्यक है।

ज्योतिष की भाषा में समझें तो किसी की जन्म कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में अगर मंगल मौजूद है तो कुंडली में मंगल दोष माना जाता है. और उस कन्या या लड़के को मांगलिक कहा जाता है. जिसे कुज दोष भी कहा जाता है. लेकिन आम भाषा में समझें तो कहा जाता है कि मंगल दोष जिसकी कुंडली में होता है उस इंसान का वैवाहिक जीवन किसी ना किसी समस्याओं से गुज़रता रहता है. आमतौर पर कुंडली में मंगल दोष होने से लोग भयभीत हो जाते हैं. दरसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इनके उपायों को करके इनके दोष को कम किया जा सकता है।

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ये हैं मांगलिक दोषों के प्रभाव-

एक मिथक है जो पूरी तरह से असत्य है वो ये कि  27 वर्ष की आयु के बाद मंगल दोष खुद ही समाप्त हो जाता है। यह केवल एक भ्रांति है। शास्त्रोक्त ऐसा कोई वर्णन नहीं है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य,शनि और राहु को अलगाववादी ग्रह एवं मंगल को मारणात्मक प्रभाव वाला ग्रह माना गया है। चतुर्थ भाव में मंगल होने से सुखों में कमी आती है और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सप्तम भाव में अगर मंगल विराजमान हो तो वैवाहिक सम्बन्धों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मंगल का अष्टम भाव में होना विवाह के सुख में कमी, ससुराल के सुख में कमी लाता है। साथ ही ससुराल से रिश्ते तक बिगड़ जाते हैं।

वैवाहिक जीवन में ला सकता है कष्ट-
 

वहीं द्वादश भाव में मंगल बैठा हो तो वैवाहिक जीवन में कठिनाई, शारीरिक क्षमताओं में कमी, रोग, कलह जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है. कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल होता है तब मांगलिक दोष लगता है। इस दोष को शादी के लिए अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये दोष जिनकी कुण्डली में होता है, उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करनी चाहिए। कुंडली में सातवां भाव जीवन साथी और गृहस्थ सुख का है। इन भावों में बने मंगल अपनी दृष्टि या स्थिति से सप्तम भाव अर्थात गृहस्थ सुख को हानि पहुंचाता है। ज्योतिशास्त्र में कुछ नियम बताए गए हैं, जिससे शादीशुदा जीवन में मांगलिक दोष नहीं लगता है। जैसे शुभ ग्रहों का केंद्र में होना, शुक्र द्वितीय भाव में हो, गुरु मंगल साथ हों या मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है। वर-कन्या की कुंडली में आपस में मांगलिक दोष की काट- जैसे एक के मांगलिक स्थान में मंगल हो और दूसरे के इन्हीं स्थानों में सूर्य, शनि, राहू, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो दोष नष्ट हो जाता है।

इस तरह कम कर सकते हैं मंगल का प्रभाव-

माना जाता है कि मंगल दोष को समाप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ उपायों से उसके प्रभाव कम किया जा सकता है, जैसे:-रोज़ाना श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें। अगर रोजाना संभव ना हो तो हर मंगलवार जरूर करें। भगवान शिव और शक्ति की पूरी श्रद्धा से आराधना करें। शिवलिंग पर लाल रंग के फूल चढ़ाएं। लाल मसूर का दान हर मंगलवार करें। इसके अलावा गुड़ का दान भी किया जा सकता है। मंगलवार के दिन मजदूरों को खाना खिलाया जा सकता है। हर मंगलवार हनुमान के चरणों में तुलसी के पत्तों पर सिंदूर से श्री राम लिखकर अर्पित करें। लाल मसूर को अपनी श्रद्धानुसार बहते जल में मंगलवार को प्रवाहित करें। लाल रंग के कपड़े में मसूर रख कर उसको अपने ऊपर से 7 बार उसार कर शिव मंदिर में अर्पित करें। किसी भी शिव मंदिर या हनुमान मंदिर में मिट्टी से बने दिये अर्पित करें। यह सभी उपाय मांगलिक दोष को कम करने में कारगर साबित होंगे।

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