Do You Know: एक ऐसी राजकुमारी, जिन्होंने 9 साल रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में बिताए, दिलचस्प है मामला

आपातकाल के दौरान सरकार ने सभी रियासतों को मिलने वाली सरकारी पेंशन बंद कर दी थी। जिसके कारण कई राज घरानों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया। लिहाजा, इस मुआवजे की मांग को लेकर बेगम विलायत लखनऊ से दिल्ली आ पहुंची।

Princes Of Awadh Begum wilayat spent nine years in delhi railway station waiting room know about shocking truth
अवध की राजकुमारी ने 9 साल रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में बिताए 
मुख्य बातें
  • बेहद दिलचस्प है अवध की राजकुमारी 'बेगम विलायत' की कहानी
  • 9 साल तक पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में बिताए
  • पेंशन की मांग को लेकर उन्होंने यह कदम उठाया था

इस दुनिया में कई ऐसी घटनाएं घटी हैं, जिनके बारे में जानकर काफी हैरानी होती है। कुछ घटनाओं पर तो यकीन तक करना मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको एक ऐसी ही घटना से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिस पर आपको शायद यकीन ना हो। लेकिन, पूरी सच्चाई जानने के बाद हो सकता है आपको हैरानी भी हो। क्योंकि, यह कहानी भारत के एक राजकुमारी की है, जिन्होंने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में नौ बिताए थे। ये बात सुनकर ही आपको अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह पूरी तरह से सच है। तो आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?

ये कहानी है अवध की राजकुमारी 'बेगम विलायत' की, जिन्हें 9 साल तक पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम मे बिताना पड़ा था। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या हुआ था कि एक राजकुमारी को 9 साल तक वेटिंग रूम में बिताना पड़ा? दरअसल, आपातकाल के दौरान सरकार ने सभी रियासतों को मिलने वाली सरकारी पेंशन बंद कर दी थी। जिसके कारण कई राज घरानों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया। लिहाजा, इस मुआवजे की मांग को लेकर बेगम विलायत लखनऊ से दिल्ली आ पहुंची। यहां आपको बता दें कि विलायत अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह की स्वघोषित परपोती थीं। अपनी मांग को लेकर वह नौ साल तक रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में रही थीं।  

हीरे का चूरा खाकर राजुकमारी ने कर ली खुदकुशी

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब हस्तक्षेप किया तो मई 1985 में दिल्ली के चाणक्यपुरी में उन्हें एक महल आवंटित किया गया, जिसे मालचा महल के नाम से जाना जाता था। बेगम विलायत अपने दो बच्चों बेटी सकीना और बेटे अली रजा और कुछ नौकरों और 12 डाबरमैन कुत्तों के साथ इस महल में रहने लगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस महल में ना तो बिजली थी और ना ही पानी। इसके बावजूद 10 साल तक राजकुमारी ने खुद को इस महल में कैद कर दिया। लेकिन, 1993 में डिप्रेशन के कारण बेगम विलायत ने हीरे का चूरा खाकर खुदकुशी कर ली। राजकुमारी के बच्चों ने उन्हें इस महल में जला दिया और राख को एक बोतल में रख दिया। इतना ही नहीं कुछ लोग इसे भूतिया महल भी कहते हैं और यहां सन्नाटा पसरा रहता है। महल को लेकर लोग तरह-तरह की बातें भी करते हैं। 

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