Corona Vaccine: इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होगा इस महिला का नाम, जानिए कौन है एलिसा ग्रेनाटो

दुनिया
किशोर जोशी
Updated Apr 26, 2020 | 18:17 IST

Coronavirus Vaccine: ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना की वैक्सीन का सबसे बड़ा परीक्षण गुरुवार से शुरू हो गया। इस बीच एक महिला डॉ. एलिसा ग्रेनाटो चर्चा में

Elisa Granato First patients injected in UK Coronavirus vaccine trial
Corona: इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज होगा इनका नाम (तस्वीर साभार- बीबीसी) 
मुख्य बातें
  • खौफ का दूसरा नाम बन चुके कोरोना वायरस बीमारी की वैक्सीन का ट्रायल शुरू
  • मानवता के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा जायेगा डॉ एलिसा ग्रेनाटो का नाम
  • ब्रिटने के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा परीक्षण हुआ शुरू

नई दिल्ली: दुनियाभर में तकरीबन 2 लाख लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस की वजह से 25 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। यूरोप में तो इस बीमारी ने मानो कहर मचाया हुआ है। इस बीच कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल शुरू हो गया है। वैज्ञानिक एक माह की अवधि के दौरान लगभग 5 हजार लोगों पर इसके टीके का परीक्षण करेंगे। दावा किया जा रहा है कि इसकी सफलता की संभावना 80 फीसदी तक है।

 माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. एलिसा पर परीक्षण

 यदि यह परीक्षण सफल रहता है तो यह दुनिया के लिए एक सबसे बड़ी राहत की खबर होगी। इसके अलावा दुनियाभर के 70 से अधिक देशों के सैकड़ों शोध संस्थान इस बीमारी की वैक्सीन खोजने में लगे हैं। दुनिया में जिस शख्स पर पहली बार कोरोना वैक्सीन का ट्रायल किया गया है वह एक महिला वैज्ञानिक हैं और उनका नाम डॉ. एलिसा ग्रैनाटो है। ग्रैनाटो ने सबसे पहले इस परीक्षण को खुद में करने के लिए हामी भरी जिनसे प्रेरणा लेकर कई और लोग भी सामने आए। ऐसे में अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो निश्चित रूप से ग्रैनाटो का नाम मानवता के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।  माइक्रोबायोलॉजिस्ट के रूप में काम करने वाली डॉ. एलिसा ने बीबीसी को बताया, "मैं एक वैज्ञानिक हूं, इसलिए मैं जहां भी हो वैज्ञानिक प्रक्रिया का समर्थन करने की कोशिश करती रहती हूं।'

कड़ी प्रकिया के बाद तैयार हुई वैक्सीन

इस वैक्सीन को तीन महीने की कड़ी प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया है। एलिसा बताती है, 'व्यक्तिगत रूप से मुझे इस वैक्सीन में पूरी तरह से विश्वास है। बेशक, हमें इसका परीक्षण करना होगा और मनुष्यों से डेटा प्राप्त करना होगा। हमें वास्तव में काम करना है और व्यापक आबादी में वैक्सीन का उपयोग करने से पहले कोरोनोवायरस से संक्रमित लोगों को रोकना है।'

वैज्ञानिक हैं एलिसा

डॉ. एलिसा इस वैक्सीन के ट्रायल को लेकर बताती हैं,  'वैसे मैं एक वैज्ञानिक हूँ, इसलिए मैं जहाँ भी हो सकता है मैं वैज्ञानिक प्रक्रिया की कोशिश और समर्थन करना चाहती हूँ। चूंकि मैंने इन दिनों वायरस को लेकर रिर्सच नहीं की है इसलिए मैं इन दिनों थोड़ा बेकार महसूस कर रही हूँ इसलिए मुझे लगा कि यह मेरे लिए कोरोना के खिलाफ लड़ाई को समर्थन देने का बहुत आसान तरीका है।'

ट्वीट कर कही ये बात

 ट्वीट करते हुए डॉ. एलिसा ने बताया, 'वैक्सीन ट्रायल में पूरी टीम सभी प्रतिभागियों को ट्रैक करने में वास्तव में आश्चर्यजनक काम कर रही है। वैक्सीन दरअसल में कोविड 19 वायरस नहीं है, यह इसका एक छोटा सा टुकड़ा है। यह एक अलग मृतप्राय वायरस से जुड़ा हुआ है। इसका मतलब यह है कि यह मनुष्यों में दोहरा नहीं सकता है, लेकिन यह संभावित रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा और कोविड से रक्षा करेगा।'

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